त्योहारों के समय बच्चे करते हैं मस्ती और बड़े करते है धमाल ..... त्योहारों के समय बच्चे करते हैं मस्ती और बड़े करते है धमाल लेकिन छात्र और छात्राओं का हो जाता है backlog से बुरा हाल
यूँ गुलामियों की बेड़ियों को तोड़कर जाना चाहती हूँ मैं अब खुद का सोया हुआ आत्मविश्वास जगाना चाहती हूँ मै इन तन्हाई भरी ज़िन्दगी से खुद को आज़ादी दिलाना चाहती हूँ मैं कुछ पल के लिए ही सही जी भर के लिए दिल से मुस्कुराना चाहती हूँ मैं
उन मासूम बच्चों को नयी राह दिखाना चाहती हूँ मैं उनके मन में एक उम्मीद की रौशनी को जगाना चाहती हूँ मैं यूँ बूढ़े माँ बाप को उनका अधिकार दिलाना चाहती हूँ मैं यूँ बेबस भटकते मुसाफिर को उजाली की और ली जाना चाहती हूँ मैं