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इंसान का सबसे बड़ा धन, निरोगी काया
इस काया का दुश्मन, संसार की माया
माया मोह को त्याग कर,भज ले हरि का नाम
पाएगा जीवन में, सुख शांति आठों याम-
कार्तिक मास की पावन भोर
दीपदान भए चहुं ओर
मन में कृष्ण नाम का शोर
राधा का मन हुआ चकोर-
बिना योजना उनके दर्शन होना
इस बात का प्रमाण है, कि
मुझसे मिलने की तड़प
उन्हें भी मुझ जितनी थी-
सफर
ये सफर जो मंज़िल की ओर नहीं जा रहा
इस सफर में, मैं आज जा रहा
कि मंजिल की फिक्र को छोड़ जमाने के लिए
मैं अपनी धुन में ज़िन्दगी जीता जा रहा-
बांधना चाहो रस्सी में, तो हाथ नहीं आयेगे
बंधो गर प्रेम में तुम, तो वो खुद बंध जायेगे-
करनी है कुछ गूफ्तगू तुमसे, न जाने कैसे शुरू करे
हाल आपका पूछे या अपना हाल ए दिल आपसे बयां करे-
इस महारास का मैं साक्षी हूं
मेरी खूबसूरती के क्या कहने
भोले बाबा भी गोपी बने हैं
गोपेश्वर महादेव के क्या कहने
मैं शरद पूर्णिमा का चांद
शीतलता में जल रहा
जो मैने है आज देखा
उसके क्या कहने-