बेसब्र हूँ, बेकली तुम बिन यहाँ है
एक तुम हो, ध्यान जाने कहाँ है।।-
बेकली में राहत ए सबब हो तुम
क्या कहूँ कितने बे-अदब हो तुम।
ख़ामोशी ओढ़ कर मुस्कुराते हो
बेमुरव्वत हो क्या गजब हो तुम।
नज़रअंदाज जितना भी कर लो
मेरे लिए हमेशा गौर तलब हो तुम।
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achha khasha baithe baithe gumm ho jata hoon ,, ab main ,main nahi rahta ,tum ho jata hoon
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مفلسی ، بے چارگی اور بے کلی
سب نے میرے جام غم سے بھر دیئے
حفیظ بن عزیز
मुफ़लिसी, बेचारगी और बेकली
सब ने मेरे जाम ग़म से भर दिये
(मुफ़लिसी=ग़रीबी,बेचारगी=मजबूरी
बेकली=बेचैनी,जाम=शराब पीने का प्याला )-
कैसे उसे ठहराऊँ ग़लत अपनी बेकली के लिए
ढूँढता फिरता हूँ जिसे अपनी एक हंसी के लिए
कोई मुझसे कह गया क़ि इश्क़ पुछ के करना
बस वाहियात लोग ही बचे हैं दोस्ती के लिए
यादों के तूफ़ान आके बिखेर देते हैं मुझे
कैसे हौसला रखूँ अपनी ख़ुशी के लिए
सुना है फ़रियाद से मिल जाती है हर शय
पाँचो वक़्त नमाज़ें पढ़ता हूँ उसी के लिए-
Be-kasi,be-kali,be-qarari hai,
Dil mein faqat Yaad bas tumhari hai,
Din kat ta hai aahen bhar-bhar ke,
Taare gin-gin ke Raat guzari hai,
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बेकली जान लेकर मेरी जाएगी
दिल को तरसाएगी जाँ को तड़पाएगी
चंद पल ही मिले थे जो मसरूर थे
फिर रही रंज-आे-ग़म की ही हम-साएगी।
بیکلی جان لیکر میری جائیگی
دل کو ترسائیگی جاں کو تڑپائیگی
چند پل ہی ملے تھے جو مسرور تھے
پھر رہی رنج و غم کی ہی ہم سائیگی
212 212 212 212-
जो दिल में बेकली है, उस पे थोड़ा ग़ौर कर लीजे,
वो चाहत बेख़ुदी है, उस पे थोड़ा ग़ौर कर लीजे।
सबब जो पूछते हैं आप मेरी मुस्कुराहट का,
निगाहों में नमी है, उस पे थोड़ा ग़ौर कर लीजे।
बरस कर आपने मुझको हरा करना तो चाहा पर,
अभी तक तिश्नगी है, उस पे थोड़ा ग़ौर कर लीजे।
है पत्थर रूह मेरी, और दिल में ख़ार हैं, लेकिन,
बदन तो मख़मली है, उस पे थोड़ा ग़ौर कर लीजे।
जला कर जिस्म मेरा, आप कर लें सब मुनव्वर, पर,
जो मुझमें तीरगी है, उस पे थोड़ा ग़ौर कर लीजे।
ग़ज़ल किसने कही है, इस में इतना सोचना कैसा,
ग़ज़ल कैसी कही है, उस पे थोड़ा ग़ौर कर लीजे।-
बे-कलि में ख़ुद को मैं कुछ ऐसे बहलाता हूं,
ख़ुद को ढूंढ़ता रहता हूं ख़ुद ही छुप जाता हूं.-
Meri bekali ab tumse hai,
meri har khushi ab tumse hai,
mere dil ka chain karar bhi,
meri zindagi ab tumse hai,
tumhe chahna tumhe dekhna,
tumhe dekh kar mera sochna,
mai andheron me tha bhatak raha,
meri roshni ab tumse hai,
jo hawa me hai, jo fiza me hai,
masum si jo dua me hai,
jise dhundta har shaqs hai,
wo hi saadgi ab tumse hai...
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