Hafeez Bin Aziz   (Hafeez Bin Aziz)
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سارے جہاں سے اچھا ہندوستاں ہمارا
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा
Joined 7 February 2019


سارے جہاں سے اچھا ہندوستاں ہمارا
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा
Joined 7 February 2019
24 APR AT 23:20

जब से उस से मिला हूँ जाने क्यों
चूम लेता हूँ मैं हर इक पत्थर
हफ़ीज़ बिन अज़ीज़

جب سے اس سے ملا ہوں جانے کیوں
چوم لیتا ہوں میں ہر اک پتھر
حفیظ بن عزیز

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16 APR AT 15:03

" प्रकृति से सीखो "
आज सुबह जब सूर्य की किरणों ने
मेरा घर दमकाया तो ज्ञात हुआ कि
बड़कपन इसी को कहते हैं,
ना ज़ात ना धर्म ना ग़रीबी ना ज्ञान,
कुछ भी तो नहीं पूछा मुझ से,
काश हम भी ऐसे बन जायें !
हफ़ीज़ बिन अज़ीज़

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14 APR AT 23:11

" प्रकृति से सीखो "
जब कभी अपनी बेबसी का
ग़म हुआ, तो पतझड़ ने कहा,
इधर देखो सिर्फ़ चार दिन का हूँ!
हफ़ीज़ बिन अज़ीज़

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14 APR AT 12:10

" प्रकृति से सीखो "
जब कभी भी हिम्मत हारा तो
आंध आई और समझा गई कि
अगर हौसला बुलंद हो तो
रुकावटें ऐसे हटती हैं!
✍️
हफ़ीज़ बिन अज़ीज़

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31 MAR AT 10:45

90% लोगों के बाप पहले मर जाते में , क्यों ?
इस लिए कि घर की 90% ज़िम्मेदारी बाप पर
होती है!और अपनी ज़िम्मेदारियों को निभाते
निभाते एक दिन वह इस बोझ में दब जाता है,
और उसके नाम में श्री की जगह स्वर्गीय जुड
जाता है!इस लिए अपने बाप की क़द्र उनकी
ज़िन्दगी में करो,मरने के बाद उनके नाम से
किये गये पुण्य से उनके वह ज़ख़्म नहीं भरेंगे
जो तुम ने अपनी ज़बान से दिये होंगे, याद रखो
कि तुम भी उसी मंज़िल की तरफ़ धीरे धीरे बढ़
रहे हो,और जो जैसा करता है वैसा ही भरता है!
हफ़ीज़ बिन अज़ीज़

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30 MAR AT 22:31

زمانے والے اٹھے کب , گئے , پتہ ہی نہیں
میں منہمک تھا سنانے میں داستاں اپنی
حفیظ بن عزیز
ज़मानें वाले उठे कब , गये , पता ही नहीं
मैं मुनहमिक था सुनाने में दासतां अपनी
हफ़ीज़ बिन अज़ीज़
(मुनहमिक = लीन,व्यस्त,Engrossed)

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24 JAN 2023 AT 9:13

محنت ، لگن ، خلوص ، مروّت و مامتا
لکھی ہیں ماں کے چہرہ پر قرآں کی آیتیں
بوسہ لیا جو ماں کی جبیں کا تو یہ لگا
میرے لبوں سے چھو گئیں یزداں کی آیتیں
حفیظ بن عزیز
मेहनत , लगन , ख़ुलूस , मुरव्वत व मामता
लिक्खी हैं माँ के चेहरे पे क़ुरआँ की आयतें
बोसा लिया जो माँ की जबीं का तो यह लगा
मेरे लबों से छू गईं यज़दाँ की आयतें

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22 JAN 2023 AT 16:24

اے کاش کہ ہر بندہ پہ یہ راز عیاں ہو
کہ اپنے مقدر کے ہمیں ، آپ ہیں کاتب
خلّاقِ جہاں نے تو ہمیں عقل عطا کی
ہے تنگ عمل سے یہ مری آپ کی راتب
حفیظ بن عزیز
ऐ काश ! कि हर बंदे पा यह राज़ अयाँ हो
कि अपने मुक़द्दर के हमीं ,आप हैं कातिब
ख़ल्लाक़े जहाँ ने तो हमें अक़्ल अता की
है तंग अमल से यह मेरी , आप की रातिब

(अयाँ=reveal,कातिब=writer,ख़ल्लाक़े जहाँ =World creator,God,रातिब=ration)

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17 JAN 2023 AT 20:19

اسی کو ہی کہتے ہیں یارو مقدّر
کہ دریا پِلائے سمندر کو پانی
حفیظ بن عزیز

इसी को ही कहते हैं यारों मुक़द्दर
कि दरिया पिलाये समन्दर को पानी

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15 JAN 2023 AT 23:32

بس ابھی زندگی ہی لکھا تھا
جتنے طوفاں تھے سب چلے آئے
حفیظ بن عزیز

बस अभी ज़िंदगी ही लिख्खा था
जितने तूफ़ाँ थे सब चले आये

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