Junaid Khan   (#Junaid_writes)
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Joined 27 August 2020


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Joined 27 August 2020
18 JUN AT 17:44

एक ऐसी भी फ़िक्र आम है ज़माने में,
कोई अच्छा भी है तो अच्छा क्यूं है.

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9 MAY AT 20:42

यूं ही नहीं कोई उम्मीदों का दिन डूबता जाता है,
सांसे बोझ लगने लगती है दिल ऊबता जाता है.

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30 APR AT 15:37

पाया भी नहीं और खो दिया है जिस को,
एक शख़्स हम को ख़्वाबों सा मिला था.

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24 APR AT 13:29

वो दास्तां जो कभी मुकम्मल नहीं होती,
वो हक़ीक़त में कोई दास्तां नहीं होती.

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30 JAN AT 20:18

कोई चेहरा याद है ना कोई सनम याद है,
हमको तो बस लौट आने की तेरी कसम याद है.

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10 NOV 2024 AT 17:21

क्या बात है कि तलब मिटती नहीं तुम्हारी,
तुम कैसा नशा हो की होश आने नहीं देता.

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1 NOV 2024 AT 21:45

होगा कोई राज़ इसमें भी शायद,
उस ने जो भी दिया ले लिया है.

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10 SEP 2024 AT 9:38

यूं ही नहीं बुरा समझ लेते है लोग,
साहब कसीर सब्र रखना पड़ता है.

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12 JUL 2024 AT 21:20

बड़ा गुरूर होता है लोगों को दौलत का,
और एक दिन वही अज़ाब बन जाती है.

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9 JUL 2024 AT 23:05

मैने जो रिहा कर दिए थे दिल के पंछी,
सुना है अब वो यादों की कैद में रहते हैं.

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