भरे ज़ख़्मों को ताज़ा कर रहे हैं
तेरे ग़म से गुज़ारा कर रहे हैं
समझना मत कि तुझसे दूर हो कर
मुहब्बत से किनारा कर रहे हैं
हम अपनी ज़िंदगी को तेरी ख़ातिर
तसल्ली है कि ज़ाया कर रहे हैं
ये ख़्वाहिश है कि तू भी हमको चाहे
मुहब्बत है कि सौदा कर रहे हैं
तेरा ही नाम ग़ज़लों में पिरोकर
सुनायेंगे ये वादा कर रहे हैं
तुझे ही याद कर के रोज़ ख़ुद को
हर इक महफ़िल में तन्हा कर रहे हैं
यहीं काबा मदीना भी यहीं पर
तेरी गलियों में सजदा कर रहे हैं
बना डाला है तुझको हीर अपनी
बस अब हम ख़ुद को रांझा कर रहे हैं
बहुत ज़्यादा है अपने बीच दूरी
तसव्वुर ही को चेहरा कर रहे हैं
लगी है हाथ तेरी एक फ़ोटो
सो फिर से इश्क़ पहला कर रहे हैं-
मैं अपने बाद में आऊँगा शायद।
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हम भी,
चारा ही नहीं बचा था कुछ।
हाँ बीच हमारे
ख़ामोशी थी,
और कहाँ
बचा था कुछ।-
Life becomes more fulfilling
when we focus on
what we can do,
rather than focusing
on what we can’t.-
ज़माने के सवालों में।
न जाने कब निकल पाएँ
अंधेरों से उजालों में।-
In the pursuit of destination, don’t forget to enjoy the journey!
-
किसको जा कर के अपना हाल-ए-दिल सुनाएँगे,
दर्द ग़ज़लों में उतारेंगे गुनगुनाएँगे।
जज़्ब हो जाएँगे अपने ही दो किनारों में,
हम वो दरिया हैं जो सागर तलक न जाएँगे।
तोड़ कर भर ले इन्हें अपनी जेब के अंदर,
पल जो गुज़रे ये तो फिर लौट कर न आएँगे।
एक दूजे के हैं जो ख़ून के प्यासे हम तुम,
अगली नस्लों को भला कैसे मुँह दिखाएँगे।
किसलिए दे रहा है तर्क़-ए-तआल्लुक़ का जवाज़,
हम तो मर कर भी मेरी जान तुझे चाहेंगे।
दोस्त जो आज हमको जान से अज़ीज़ हैं वो,
चंद हफ़्तों के बाद याद तक न आएँगे।
बैठना बूढ़े दरख़्तों की छाँव में भी कभी,
सैंकड़ों किस्से और कहानियाँ सुनाएँगे।
बस लगा लेना तू गले से एक बार हमें,
चाहे जितने भी हों नाराज़ मान जाएँगे।
उनकी नज़रें टिकी हैं मेरी मुस्कुराहट पर,
उनको पाओं के ये छाले नज़र न आएँगे।-
बच्चों के हाथ में बमो-बन्दूक थमा कर,
ख़ुश हो रहे हैं आग वो गुलशन में लगा कर।
देंगे दिखाई ज़ख़्म ज़माने के आपको,
देखें सियासी चश्मे को आँखों से हटा कर।
इक रोज़ मुफ़लिसी से तंग आ के ज़हर खा,
अम्मा भी साथ सो गयी बच्चों को सुला कर।
मिलती हैं निगाहें जो सब से हो के ख़ुश यहाँ,
सबसे ज़ियादा दर्द वो रखती हैं छुपा कर।
तब जा के हुई बाप के हालात की समझ,
लाया जो बेटा घर में चार पैसे कमा कर।
धोखा तुम्हारे साथ मुजाहिद है ये हुआ,
बेची है उसने मौत तुम्हें ख़ुल्द बता कर।-
It’s important to
teach our kids
about our culture
and values, but
it’s even more
important to teach
them to respect
others’ culture and
values.-
हम जैसी लाचारी किसकी होती है,
ग़म सी पाएदारी किसकी होती है।
हम तो मरने वाले हैं वसीयत पर,
देखो दावेदारी किसकी होती है।
हर पंछी रहना चाहे आज़ाद यहाँ,
सैयादों से यारी किसकी होती है।
फिर से भीड़ ने इक मासूम कुचल डाला,
भीड़ में ज़िम्मेदारी किसकी होती है।
जीते जीते मर जाते हैं इक दिन सब,
मरने की तैयारी किसकी होती है।-