ASHOKA THE GREAT
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तारीख़ ने अपनी धारा हिन्दुस्तान से क्यूँ मोड़ी
ऐ अशोक तूने अपनी जवां श़मशीर बेसुर्ख़ क्यूँ छोड़ी?-
कलिंगा ने ना सोचा होगा कि ऐसा भी एक दिन आएगा
हजारों मौतों के बाद भी वो हमे धर्म का पाठ पढ़ाएगा,
बुद्ध धर्म अपनाने के पीछे वो ही जाने अपनी मंशा
शायद हमारा धर्म अपना कर हम पर ही राज चलाएगा।।
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No one can predict when and how human life will change. Emperor Ashoka himself did not think that he would abandon the imperialist policies and eventually adopt a religious way Dhamma.
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अशोक:-
परिकल्पना से परे होते देखा है,
मैंने चांद को पूर्ण होते देखा है,
विश्वास अटल है तुम्हारा मैंने उसे ये समझाते देखा है,
खैर चाहे कितनी भी जटिल क्यूँ ना हो परिस्थियां,
मैंने अपने हर एक मार्ग में उसका सहयोग देखा है....):-
(मेरी करुवाकी) ❤️-
कथन : 'अशोक कोई नहीं एक हत्यारा था'
उत्तर:
धर्म की उत्कृष्टता के लिए कथाओं में,
कलिंग भयवता का रचा षड्यंत्र न्यारा था,
राज विस्तार और शक्ति बल ही राज चलाने का तब सहारा था,
सैन्य बल के बिना तब प्रजा हित में कोई राजन को नागवारा था,
अगर थी बुद्ध नीति में इतनी शक्ति तब
प्रसेन्नजित ने सैन्य भंग क्यों नही स्वीकार था ?
अगर था हत्यारा मगध नरेश राजतंत्र चलाने का,
तो शर्वरी में प्रजा को छोड़ जाने वाला सिद्धार्थ,
कैसे अपराध बोध से किया किनारा था ?
धर्म और राजनीति सदा से एक दूसरे का सहारा था,
जिसने भी दुनिया को इनके चश्मे से देखा,
वो सदा ही जग में हारा था......वो ही सदा हारा था।-
# Ashoka
At first, it was a Mistake
Than it become crime
Certainly it was a war
And at the end,
it become peace
And A pin drop silence
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ज्ञान विज्ञान और अर्थशास्त्र ,की धरती आज गुमनाम है
और हर तरफ बस बदनाम है।
जिस धरती ने दुनियां को,सबसे बड़ा अर्थशास्त्री दिया
सतरंज सा खेल और चाणक्य सा ज्ञानी दिया ।
जिस धरती ने चंद्रगुप्त और,अशोका सा बलवान राजा दिया
विश्व पटल पर पाटलिपुत्र , और मगध मान दिया ।
जिस धरती ने पंडित चंद्रसेखर ,सा वीर बलिदानी दिया
जिसको थी प्यारी अज़ादी अपनी इस लिए बलिदान दिया।
जहाँ ज्ञान का भांडार कहलाने वाला,नालंदा था
तीन महिनों तक जलने वाला,वो भारत का इतिहास था।
जिस धरती ने दीये अनगिनत ज्ञानी ,और ना जाने कितने
गणितज्ञ और दिया गुरु गोविंद सा महान
आज हो रहा उस धरती का ,इस देश के कोने कोने मे
अपमान नही मिल रहा है सम्मान।
जिसका इतिहास हो इतना महान,उसने क्यूँ खोयी पहचान
हर कोई है इससे अनजान।
खोज रहा अपनी पहचान,मत भूलों इस देश को बनाने में
बिहार ने भी दिया बड़ा योगदान ।
जिसने दिलाया था कभी ,इस देश को पूरी दुनियां मे सम्मान।
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এক নদীরই দুই পারেতে দুই সে বিশাল দেশ,
চলত সেথা হিংসা রাজ্য,শাসন করত দ্বেষ,
সেই মোহনায় পড়ল প্রেমে দুই সে কোমল মন।
ভাঙবে স্বপন মনমাঝারে, জানত না তখন !!!
প্রেমের সাগর ভাসল যখন জিঘাংসার জোয়ারে,
উঠল যখন জ্বলে আগুন মহানদীর পারে,
শত্রুরূপী প্রিয়তমার যাচ্ছে লহু বয়ে -
দেখল যখন দৃশ্য রাজা কাতর পানে চেয়ে,
মিটল তৃষা রক্তে তখন রাঙা মাটির শেষে,
অস্ত্র ফেলে দাঁড়াল রাজা বৌদ্ধ যোগীর বেশে।।
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मगध की भाषा संस्कृति एवं गौरवशाली इतिहास जो आज पतन की ओर अग्रसर है उस के उत्थान नवनिर्माण के लिए
"मगध नवनिर्माण सेना" का गठन किया गया है। हमें पूर्ण विश्वास है कि आने वाला समय में यह संगठन मगध के लोगों की आवाज बनने की काम करेगी। निरंतर क्रांति कर मगध में परिवर्तन लाने का हमारा प्रयास जारी रहेगा। "जय मगध जय मगही"-