Prakirti   (к๓ քʀǟӄɨʀȶɨ)
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Engrossed with random thoughts
Joined 5 June 2020


Engrossed with random thoughts
Joined 5 June 2020
25 MAY AT 9:39

खुदगर्जी

मिलते है कई प्रकार के लोग
कुछ पराएं तो कुछ अपने से
किसी से दिल की बात होती
तो कोई पास होके भी दूर होते।

दुरी जब सबके साथ होती है
तो ये जिंदगी आम सी नहीं होती है
कुछ की यादों का जोड़ चलता
तो कोई परछाई सी धुंधली होती है।

एक ही जिंदगी के कितने पहलू है
रंगत जीवन के हर दरमियाँ है
कुछ में रंगिनियाँ नज़र आती
तो कोई कालिख की तरह फ़ैल जाती।

लोगों में आसानी से कमी दिख जाता
खुद की आँखों से दूसरा ही गलत नज़र आता
यही जिंदगी की रीत और प्रीत है
इसके संग ही जीवन की हर एक मित है।

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7 MAY AT 17:15

सोचते सोचते दिन यूँही कट रहा
दिमाग़ की बातों से खुद ही लड़ रहा
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2 MAY AT 16:43

नज़रअंदाज़👇👇

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26 APR AT 20:36

Expectations 👇👇👇

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23 APR AT 12:08

खुद से खुद की बातें
चलो आज हम करते है
क्या हमें आगे बढ़ने से रोक रहा
उसे ठिक कर खुद की तकदीर गढ़ते है।
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27 AUG 2021 AT 1:06

जब दिल की बात होती है,
फिर दुरी कहाँ साथ रह जाती है,
भावों के समंदर को,
कोई प्रवाह कहाँ रोक पाती है।

अल्फाज़ रगों का मेल है,
उसके आगे भौतिकतावाद फेल है,
ना कोई मोल ना कोई एहसान,
ये तो दिल के रिश्तों का खेल है।

लेकर नव तमन्ना आता है,
भावों से हर जगह को जगमगाता है,
कर रौशन जग सारा,
वो दिलों को अरमान थमाता है।

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27 AUG 2021 AT 0:38

दोस्त बन वो साथ निभाते हैं,
दूर से ही दुआ फरमाते हैं,
ख्याल हर पल रख कर
राहों में गुणगान करते हैं,
परिकल्पनाओं से दूर ले जाकर कहीं,
सच्चाई से हमें रूबरू करवाते हैं,
भूलकर एक दूजे की त्रुटियां
उसके सुधारक बनते हैं,
ना कोई गिला ना कोई शिकवा,
एक दूजे के परिचालक बनते हैं,
हाँ, कुछ ऐसे ही वो दोस्त बनते हैं,
बन कर दोस्त हर कदम साथ चलते हैं,
हाँ, कुछ इस कदर वो,
हमें अपने दिल में रखते हैं,
दूर होकर भी ना वो दूर होते हैं,
पास आकर भी ना वो कुसूर होते हैं ।।

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27 AUG 2021 AT 0:17

तितली (एक कविता)












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26 AUG 2021 AT 23:58

किताबों में लिपटा जो गुलाब है,
किसी की यादों का सैलाब है।

गम जो आए इस राह में,
वो मरहम रूपी एक हिसाब है।

नज़राना इससे ना बढ़कर कोई,
ये तो हर चीज से नायाब है।

गम अगर आए इस राह कभी,
ये उस जख्म पे मरहम बेहिसाब है।

जब कभी याद आएगी तुम्हारी
ये उस वक़्त का तेरा आदाब है।

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26 AUG 2021 AT 23:52

प्रवाह ही जिंदगी


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