Sandeep Suman   (© Sandeep 'विद्रोही')
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Joined 2 January 2018


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25 JUN AT 7:26

अपनी ही लाश लेकर,
भटकता है वो
सुनसान राहों में
भ्रम है की वो जिंदा हैं!

भीड़ में खड़ा वो अक्सर,
खुद को सुरक्षित पाता है
पर इसकी कीमत वो,
अपना वज़ूद मिटा कर चुकाता है!

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10 JUN AT 1:14

नारक भोगने के लिए पाप करना जरूरी नहीं....

आप विवाह भी कर सकते है !

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2 JUN AT 6:17

मध्य रात्रि एक किरण आ लेटा निकट मेरे ,
शीतलता ने एहसास कराया कि तुम हो !

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22 MAY AT 22:54

बिल्लियां तो यूँ ही,
बदनाम हैं गालियों में,
रास्ता तो इंसान ही
इंसान का काटता हैं ।

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14 MAY AT 11:26

लक्ष्य हो शिखर
तो घाटी चढ़
ऐंठ नहीं सकता
राह जटिल हो
या हो धूप प्रखर
मैं थककर बैठ
नहीं सकता।

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10 MAY AT 12:11

एक चिड़िया ढूंढ
रहा था घोंसला,
कटे पेड़ में,

वह पेड़ ढूंढ रहा
था अपना अस्तित्व
सूखे टेरी में,

टेरी जल रही थीं
दूर आदम की
रसोई में,

रसोई में कोई
कराह रहा था,
परंपरा की बेड़ी में!

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13 APR AT 12:56

असफलताओं ने उन्हें
गुमनामियाँ सौगात की,
खाली जेबों ने अकेलापन,
और फिर "कुछ किताबों"
ने संभाल लिया लिया 'उन'
अकेले रहने वालों को....
जो बता ना सके अपनी
परेशानियां किसी को !

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26 MAR AT 12:14

जीवन में वो उसके 'सौरभ' भरना चाहता था,
एक छद्म 'मुस्कान' ने उसे 'साहिल' लगा दिया!

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15 JAN AT 15:28

गंगा शुद्धि करे तन की,
पाप करवावें मन!
धुले ना गंगा मन तेरी,
डुबकी लगावे चाहे अनन्त: ।।

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1 JAN AT 11:13

समय बदल रहा है
पल बदल रहा है
कल के लिए
आज और कल बदल रहा है
हर साल का यह शगल रहा है

12 अध्याय और 365 अवसर

नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं!

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