हम तो आज भी वही है,
बस तुम्हारा नजरिया बदल गया,
खैर मैं दिलदार हूं तुम्हारा,
क्यों तुम्हारा हककदर बदल गया,
बदल गया ये वक्त,
क्यों इरादा बदल गया,
बदला था किनारा,
क्यों ये फासला बदल गया,
मैं दिलदार हूं तुम्हारा,
क्यों तुम्हारा हकदार बदल गया....):--
Karma Believer
14th March 1995🎂
Single
LIC Agent
My name means The king of mount... read more
तकदीर का हमसफर बनकर निकला मैं,
फासला भले कितना भी हो मीलों का,
जब निकलूं तो ये रास्ता तेरे ही घर जाता है,
तेरा साथ छोड़ कर सब कुछ मिला है,
दिल थामा है तेरे नाम से धड़क जाता है,
तेरा चेहरा देखकर नशा चढ़ जाता है,
फासला भले कितना भी हो मीलों का,
जब निकलूं तो ये रास्ता तेरे ही घर जाता है,
हसीन चेहरों को छोड़कर एक तेरा ही चेहरा नजर आता है,
कौन है और कहां है जो तुझसा मेल खाता है,
एक तेरा ही नाम है जो हर वक्त मेरी जुबान पर आता है,
फासला भले कितना भी हो मिलो का,
जब निकलूं तो ये रास्ता तेरे ही घर जाता है....):--
सच ये सरेआम कर दो
मुझको अपना हकदार कर दो
जो इंतजार किया वो मेरे नाम कर दो
या तो मुझे बदनाम कर दो
मुझको अपना हकदार कर दो
दूरियां को अब दरकिनार कर दो
अपने इश्क में मुझे बीमार कर दो
खुशियों की भरमार कर दो
मुझको अपना हकदार कर दो....):--
आज पिछले जन्म की बात सुनाता हूं,
सुनसान गलियों में गीत गुनगुनाता हूं,
वो नशा था मोहब्बत का तुझे याद दिलाता हूं,
आज पिछले जन्म के बात सुनाता हूं।।
जन्म मरण से परे है इश्क मेरा
क्या कहा था तूने यह बात तुझे सुनाता हूं,
ना जात में बंटे हम कभी बाटा था समाज ने,
मोहब्बत के इशकजादों को काटा है आज ने,
आज पिछले जन्म की बात सुनाता हूं।।
कभी मारा करती थी तू मुझ पर,
यह बात आज भी पुरानी नहीं,
जो लिख रहा हूं वो अनजान कोई कहानी नहीं,
आज पिछले जन्म की बात सुनाता हूं।।
मैं तुझे सच से अवगत कर आता हूं....):--
आज पिछले जन्म की बात सुनाता हूं,
सुनसान गलियों में गीत गुनगुनाता हूं,
वो नशा था मोहब्बत का तुझे याद दिलाता हूं,
आज पिछले जन्म के बात सुनाता हूं।।
जन्म मरण से परे है इश्क मेरा
क्या कहा था तूने यह बात तुझे सुनाता हूं,
ना जात में बंटे हम कभी बाटा था समाज ने,
मोहब्बत के इशकजादों को काटा है आज ने,
आज पिछले जन्म की बात सुनाता हूं।।
कभी मारा करती थी तू मुझ पर,
यह बात आज भी पुरानी नहीं,
जो लिख रहा हूं वो अनजान कोई कहानी नहीं,
आज पिछले जन्म की बात सुनाता हूं।।
मैं तुझे सच से अवगत कर आता हूं....):--
यह मंजर है इश्क का,
आजमा कर हम जाएंगे,
देखना मुड़कर तुम्हारी चौखट पर हम फिर आएंगे।।
आज भले ही मुंह फिरती हो हमसे,
कल को हम फिर हंसते गाते नजर आएंगे,
मुड़कर देखना तुम्हारी चौखट पर हम फिर आएंगे।।
यह इश्क नहीं कोई मजाक जो बने बैठे हो,
क्यों बेवजह नफरत किए बैठे हो,
तुम चाहत हो मेरी जिसे हम फिर आजमाएंगे,
मुड़कर देखना तुम तुम्हारी चौखट पर हम फिर आएंगे....):--
क्यों है इश्क मिलावटी जहर जैसा,
क्यों है तेरा इश्क कहर जैसा।
कहते हैं जैसे को तैसा मिलता है,
पर कौन है कहां है मेरे जैसा।।
बुझा है शम्मा तो जलने को प्रकाश चाहिए,
दीवाने को इश्क के हिसाब चाहिए,
मेरे इश्क को ऊंची उड़ान चाहिए,
भीगा दे तू मुझे आज आगोश में,
या तो तू चाहिए या फिर ये शमशान चाहिए।।-
झुमके तेरे कानों के,
मेरी आंखों में छाप छोड़ जाएंगे।
मटमैली मोहब्बत को फिर उजागर कर जाएंगे।।
झुमके तेरे कानों के,
एक नई उमंग भर जाएंगे।।
भर जाएंगे उल्लास नया,
जीवन रूपी सुख से नाता जोड़ जाएंगे।।
झुमके तेरे कानों के,
मेरे दिल में घर कर जाएंगे।।
मुझे फिर से तेरा दीवाना कर जाएंगे,
झुमके तेरे कानों के।।-
आज भी जिंदा हैं मेरे जहन में तेरी यादें,
वो मुझे पूरानी नहीं लगती,
खैर चली थी तूने जो कभी,
वो मुझे तेरी चाल नहीं लगती....):--
धोखे में अब मैं नहीं,
धोखे में तू रहेगी मेरे जाने के बाद,
खैर तू ये बता कौन चाहेगा तुझे,
टूट कर मेरे चाहने के बाद....):--