यहीं ठहरे हैं यही रवानी है
मुसलसल चलती रहे वो जिंदगानी है...
तुम अरमान हो
तुम्ही से कहानी है...
तुम्हारी ही तिश्नगी है
तु ही घूंट भर पानी है...
ऐसे ही उलझता रहता हूं
तेरे सपने है तेरी याद आनी है...
तू ही अनजान है मोहब्बत से मेरी
तू ही हक़ीक़त है तू ही कहानी है...-
अनजान डगर
मयूर सा नाच उठा है मन
इक मनचाहा साथी पाकर
उड़ रही हूं जैसे आसमान पर
या हूं धरती पर ,कोई बताए आकर....
इंद्रधनुषी सपनों का संसार लिए
दिल बेकल है इक नई आस लिए
साथ चलना,उड़ना है
मिल कर तय करना है मीलों के सफर....
लेकिन क्या इतना सरल है
उखड़कर दूसरी जगह बस जाना??
अन्तर्द्वन्द में उलझी दिल में कई सवाल लिए
चल पड़ी हूं, उस पर जो है अनजान डगर
क्या मेरी दशा भी है ,उस नन्हे पौधे सी??
जिसे कहीं और रोपा जाएगा
किसी और को सौंपा जाएगा
मुरझा जाएगा या होगा चेतन
कैसा ये असमंजस कैसा ये आकर्षण?
मिलेगी जब पर्याप्त धूप तो खिलेगा रंग रूप
कम भी मिलेंगे यदि खाद पानी
फिर भी रचेगा ये
अद्भुत कहानी...
मिट रही हैं उलझनें
छंट रही हैं बदलियां
तैयार हूं चलने को, उस पर
जो है अनजान डगर...-
उनसे पहचान हुई तो खबर हुई,
वो अनजान थे,
अनजान हे,
और अनजान ही रहेंगे...
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फ़िर से चल पड़ा हूं उन अनजान राहों पर
जो अक्सर मुझे अपनी ओर खींचती है-
ये जो अपने होते हैं ......जनाब
ये अपने क्यों नहीं होते .......?????-
मैं अपने हयाती का जिक्र;
किसे सूनाऊ आखिर,
हर कोई मुझसे;
बेखबर होन चाहत हैं...!-
किसी अनजान पर
इतना भी प्यार ना करो..,
की एक दिन वो
नफरत में बदल जाए..!
ওওও-
Yu he nahi tera deedar karti hu m...
Kuch nasha sa h tere in aakho m...
Jo mujhe pagal bana deta hai...
Karu to kaise ijhar kru apne haal_e_dil ka haal ....
Kuki tum to anjan ho mere ishq ke eshas se ...
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इश्क़ की दास्तानों मे,,
लिखे जाना वाला,,
ना समझ,,
उलझता,,
अनजान सा,,
बदलता हुआ,,
किरदार हो तुम।।-