सच कहना अच्छी बात होती है पर वो सच सच
नही होता है जिसमे हमे अपनी वास्तविकता से
दूर रखा जाता यही हाल ही इस समय ज़िंदगी
का मानो थम सी गई है जिस कार्य में लगा हूं
वो मिल नहीं पा रहा और इसके चक्कर में
बाकी सब से दूर होता जा रहा हूं समझ नही
आ रहा है जो कर रहा हूं वो सही भी है या
नहीं पर फिर भी लगा हूं उसी कार्य को करने में,
न जाने क्या होना है आगे
अजीब सी है जिंदगी
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