QUOTES ON #SAVEHUMANITY

#savehumanity quotes

Trending | Latest
25 MAR 2020 AT 23:34

चारो तरफ मौत का मंजर है
हे मानव! तू ही है ढाल इसका
और तू ही तो खंजर है।

-


27 AUG 2021 AT 15:02

सुना है अफगानिस्तान में बर्बादी का तूफ़ान आया है
दहशत की सरकार बनाने आतंकी तालीबान आया है

अपना घर छोड़ भागने को मजबूर है आवाम वहाँ की
हँसते खेलते देश को उसने मानो कब्रिस्तान बनाया है

फिर रहे हैं दर – बदर सब जान बचाने को अपनों की
हर तरफ़ पसरा है मातम और हर कोई वहाँ घबराया है

कहीं आग की लपटें हैं तो कहीं आँसू का दरिया बहता है
बौछार गोलियों की है कहीं तो कहीं बम उसने बरसाया है

ए ख़ुदा रहम कर अब सुकून बक्श उन बच्चों को अपने
मासूम बेगुनाहों पे ये तूने आख़िर कैसा कहर बरपाया है

-


22 APR 2020 AT 1:44

_वह कमबख़्त शहर_
उस ज़ालिम के आगोश में
वह चीख़ उठी !
मानाे उसके बदन से कुछ
टूट गिरा हो !
थाने में फिर एक हंसी
बुलंद हुई !
उसकी नुमाइश करते हुए
सड़कों पर भीड़ उमड़ी हुई है !
अखबारों में वह छायी हुई है ,
जिनमें उसके किस्से छप रहे हैं !
तालिमदार एक - एक पैसे में ,
खब़र बेच रहें हैं !
उसका बचा-खुचा जिस्म ,
बड़ी बेदर्दी से नोच रहे हैं !

-


23 APR 2020 AT 11:40

God makes us with many
imperfections, With knowledge
with growth we can remove
that imperfections.
We are on wrong way
When we started categories.

-


18 JUL 2020 AT 6:42

सूखे फूल भी कुछ कह रहे थे,
बिन डाली के भी वो रह रहे थे।

भगवान के लिए तोड़ा जिन्हें,
वो नालियों में बह रहे थे।

-


4 JUN 2020 AT 10:20

ये दोगली मानसिकता अच्छी नहीं लगती

-


26 FEB 2020 AT 13:51

धर्म के नाम पर हम लड़ते रहे,
अपने अंदर के इंसानियत को हम खोते रहे।

लूटी जो आबरू बहन-बेटी की,
तमाशबीन बन हम तमाशा देखते रहे।

इंसाफ़ के नाम पर महज तारीख़ बदली,
सड़कों पर मोमबत्तियाँ लेकर उतरते रहे।

समझ न पाए हम खेल कुर्सी का,
अपनों के ही घर में आग लगाते रहे।

इधर हम हिन्दू मुसलमान बन के लड़ते रहे,
सरहद पर वो हिंदुस्तानी बन के जान गंवाते रहे।

ऐसा कहर जो टूटा गरीबी-बेरोजगारी का,
इंसान खुद को फ़ांसी पर लटकाते रहे।

भाईचारा,एकता हमें रास न आई,
एक-दूजे को लहूलुहान करते रहे।

धर्म के नाम पर हम लड़ते रहे,
अपने अंदर के इंसानियत को हम खोते रहे।

-


24 APR 2020 AT 22:03

ACID ATTACK !!!!

Jism pe mere chnd boonde jo gira gya tha uss din.....
Glti nhi thi meri ,
bss na he toh kaha tha usse,
Gusse mein aa phek gya tha acid fir mujhpe....
Jala diya tha chehra mera,
kya yhi pyar tha tera...
Jism pe mere chnd boonde jo gira gya tha uss din....
Meri chikhe sun ro pra tha dil sbka uss din....
aansu mere bta rhe the begunahi meri....
Iss drd ki kahaani log sunnte h aaj bhi.....
Jism pe mere chnd boonde jo gira gya tha uss din.....
Zinda to rhi mgr zindagi chin legya tha vo ussdin....
Khd ko dekh aaine mein roi thi bht din....
Jal raha tha pura bdn mera uss din...
Jism pe mere chnd boonde jo gira gya tha uss din...
Acid phek tune koi Mardaangi nhi dekhaai thi uss din......
Laykin chera to jla gya tha mera tu uss din....

-Simran kaur ❤🥀

-


19 MAY 2021 AT 23:24

कितने लख्त-ए-जिगर लहूलुहान पड़े हैं फलस्तीन में
ऐ खुदा भेज दे फिर से वो लश्कर अबाबील का।।

-


29 SEP 2019 AT 16:14

रंजिशें बची हुई है मोहब्बत नहीं रही,
भीड़ में आई मौत शराफ़त नहीं रही.

वो जो जिया मज़हब बनके ताउम्र,
उन जिस्मों में भी इंसानियत नहीं रही.

मारकर उसे बचा लिया अपने खुदा को,
खुदा के पास भी क़यामत नहीं रही.

कसूर तो बता तो उस आदम शख़्स का,
सुना है अदालतों में भी वो बात नहीं रही.

सब ने बाँट लिया मंदिर और मस्जिद,
टुकड़ों में दुआ भी सलामत नहीं रही.

-