Akash RAhi   (✍️राही आकाश...)
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Joined 22 March 2020


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Joined 22 March 2020
18 JUN AT 21:21

हर  बात  पर  बेएतबारी जताने लगे,
हम थे हमदर्द और  बेदर्द बताने लगे,

अब उसको कितना अपना समझूं मैं
गर हमसे अपनी तस्वीर छिपाने लगे।

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2 MAY AT 9:45

मैंने देखे है तुम्हारी आंखों के नीचे गहरे काले गड्डे
मैंने सुनी है तुम्हारे दर्द की कराहना
मैंने महसूस किया है तुम्हारे अंतर्मन के द्वंद्व को
मुझे यक़ीन है तुम्हारे संघर्षों के सामने
तुम्हारी सफलता की कहानी बहुत छोटी होगी।

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23 APR AT 19:34


मुझे अच्छे नहीं लगते तुम्हारे हाथों में कंगन,
मैं तुम्हारे लिए किताबें लाऊंगा।

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11 NOV 2023 AT 9:35

तंग गलियां,
सुनसान रास्ते,
सपनों का शहर,
उम्मीद के वास्ते।

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17 AUG 2022 AT 0:59

जातिवाद बैठा मार कुंडली,
मैं जाऊं तो कहां जाऊं।

हर घर में है अब मनु बैठा,
मैं इतने अम्बेडकर कहां से लाऊँ।

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3 AUG 2022 AT 22:28

सजाया था जिसे अपने हाथों से
आज उसी दीवार को बिखेरा है,

बस अंतिम शाम थी तेरे नाम,
अब कल कहीं और सबेरा है।

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28 JUL 2022 AT 21:54

❤️खिलौना है साहब खिलौना,
अच्छे  से  खेला  जा सकता है।

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23 JUL 2022 AT 21:31

साहब भीड़ बहुत है यहां अपनो की,
पर मेरा कोई नहीं।

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21 JUL 2022 AT 22:41

अब दिशा नहीं राही
दशा बदलने की जरूरत है।

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16 JUL 2022 AT 20:36

बहुत मीठे होते हैं लोग
बातों से।

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