वो दौर कोई और था ये दौर कोई और हैदूसरों के हाथों में ही हर किसी की डोर हैना कोई था ना कोई होगा तेरा इक तेरे सिवाअजनबी हैं सभी महज़ अपनेपन का शोर हैडूबा जा रहा जीवन सभी का चिंता के तम मेंपर है मुख लालिमा छाई ये दिखावे का भोर हैजो बहल जाता था तेरी सच्ची–झूठी बातों सेवो शख्स कोई और था ये शख्स कोई और है— % & -
वो दौर कोई और था ये दौर कोई और हैदूसरों के हाथों में ही हर किसी की डोर हैना कोई था ना कोई होगा तेरा इक तेरे सिवाअजनबी हैं सभी महज़ अपनेपन का शोर हैडूबा जा रहा जीवन सभी का चिंता के तम मेंपर है मुख लालिमा छाई ये दिखावे का भोर हैजो बहल जाता था तेरी सच्ची–झूठी बातों सेवो शख्स कोई और था ये शख्स कोई और है— % &
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जैसे भुलाए से भूलता नहीं महबूब का दिया वो आख़िरी गुलाबवैसे ही भूल नहीं पाओगे तुम भी हमसे हुई वो पहली मुलाक़ातहम चाहते ही हैं कि याद आती रहे तुम्हें मेरी की सारी नादानियाँऔर याद आती रहे मेरी मोहब्बत संग अपनी वाहियात ख़ामियाँजब भी याद करो मुहब्बत के लम्हें हर बार टूट कर बिखर जाओदुआ है कि ताउम्र कोसो ख़ुद को और ऐसे ही इक दिन मर जाओ— % & -
जैसे भुलाए से भूलता नहीं महबूब का दिया वो आख़िरी गुलाबवैसे ही भूल नहीं पाओगे तुम भी हमसे हुई वो पहली मुलाक़ातहम चाहते ही हैं कि याद आती रहे तुम्हें मेरी की सारी नादानियाँऔर याद आती रहे मेरी मोहब्बत संग अपनी वाहियात ख़ामियाँजब भी याद करो मुहब्बत के लम्हें हर बार टूट कर बिखर जाओदुआ है कि ताउम्र कोसो ख़ुद को और ऐसे ही इक दिन मर जाओ— % &
तेरे ख़्वाबों की गलियों से होकर हर रात वो गुज़रने लगी हैतेरे यादों के पन्नों पर स्याही बन पल पल वो बिख़रने लगी हैवो एक अल्हड़ सी लड़की जो साजो श्रृंगार से बेख़बर होती थीतू मिला तो जाने क्यूँ अब आइने के सामने घंटो संवरने लगी है— % & -
तेरे ख़्वाबों की गलियों से होकर हर रात वो गुज़रने लगी हैतेरे यादों के पन्नों पर स्याही बन पल पल वो बिख़रने लगी हैवो एक अल्हड़ सी लड़की जो साजो श्रृंगार से बेख़बर होती थीतू मिला तो जाने क्यूँ अब आइने के सामने घंटो संवरने लगी है— % &
मांग हमारी अब जिसके भी नाम से सिंदूरी होगीवादा है उस रिश्ते में कभी ना कोई मजबूरी होगीबना अर्धांगिनी अपनी जब वो हमको अपनाएंगेतो हम भी सप्रेम अपना सर्वस्व उन्हीं पे लुटाएंगे— % & -
मांग हमारी अब जिसके भी नाम से सिंदूरी होगीवादा है उस रिश्ते में कभी ना कोई मजबूरी होगीबना अर्धांगिनी अपनी जब वो हमको अपनाएंगेतो हम भी सप्रेम अपना सर्वस्व उन्हीं पे लुटाएंगे— % &
लबों पर ठहरी हिचकिचाहट है थोड़ी सीनज़रों में इज़हार–ए–इश्क़ छुपाए बैठे हैंबातें हैं करते इधर–उधर की सारा दिन वोपर उन बातों में ज़िक्र हमारा समाए बैठे हैंकोई समझाए कि जानलेवा होती है दिल्लगीक्यों बेदर्दी पर वो जान दांव पर लगाए बैठे हैंजो परे है इश्क़ मोहब्बत के सारे एहसासों सेउस निर्मोही पर क्यों प्रेम जाल बिछाए बैठे हैं— % & -
लबों पर ठहरी हिचकिचाहट है थोड़ी सीनज़रों में इज़हार–ए–इश्क़ छुपाए बैठे हैंबातें हैं करते इधर–उधर की सारा दिन वोपर उन बातों में ज़िक्र हमारा समाए बैठे हैंकोई समझाए कि जानलेवा होती है दिल्लगीक्यों बेदर्दी पर वो जान दांव पर लगाए बैठे हैंजो परे है इश्क़ मोहब्बत के सारे एहसासों सेउस निर्मोही पर क्यों प्रेम जाल बिछाए बैठे हैं— % &
100 कपड़े देखने के बाद जब मैं दुकानदार से कहूं कि कुछ ख़ास पसंद नहीं आ रहा ठीक ठीक दाम लगाओ तो 1–2 ले भी लूंतब दुकानदार :–👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻😂— % & -
100 कपड़े देखने के बाद जब मैं दुकानदार से कहूं कि कुछ ख़ास पसंद नहीं आ रहा ठीक ठीक दाम लगाओ तो 1–2 ले भी लूंतब दुकानदार :–👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻😂— % &
// बेटियाँ //कई जन्मों के पुण्यों का वरदान हैं ये बेटियाँबेटा है कुल का दीप तो अभिमान हैं ये बेटियाँइच्छाएँ पूर्ण करने को अपनी भाग रहे हैं सभीमगर हर रूप में केवल बलिदान हैं ये बेटियाँहर मायूसी को हर ले महज़ इक मुस्कान से वोवीरान से घर आँगन की होती जान है ये बेटियाँयूँ तो बेटा–बेटी दोनों ही आँखों के तारे हैं लेकिनवारिस है उनका लाडला स्वाभिमान हैं ये बेटियाँरिश्ते निभाए निश्छलता से प्रेम में बांधे हर बंधनपर ना समझे कोई कितनी मूल्यवान हैं ये बेटियाँ -
// बेटियाँ //कई जन्मों के पुण्यों का वरदान हैं ये बेटियाँबेटा है कुल का दीप तो अभिमान हैं ये बेटियाँइच्छाएँ पूर्ण करने को अपनी भाग रहे हैं सभीमगर हर रूप में केवल बलिदान हैं ये बेटियाँहर मायूसी को हर ले महज़ इक मुस्कान से वोवीरान से घर आँगन की होती जान है ये बेटियाँयूँ तो बेटा–बेटी दोनों ही आँखों के तारे हैं लेकिनवारिस है उनका लाडला स्वाभिमान हैं ये बेटियाँरिश्ते निभाए निश्छलता से प्रेम में बांधे हर बंधनपर ना समझे कोई कितनी मूल्यवान हैं ये बेटियाँ
इतिहास गवाह है डूबती हुई कश्ती को कभी भी किनारा नहीं मिलाजिसका दिल ही रहा काला उसकी सोच में कभी उजियारा नहीं मिलाभटकते रहे दर–बदर ताउम्र कि कोई तो अपना समझ अपना ले हमेंइसी उम्मीद में हम तो होते रहे सबके पर कोई हमें हमारा नहीं मिलासुना है बाद मरने के मेरे दस्तान–ए–वफ़ा सुनाई जाती है सबको मेरीमैयत में भी आए हज़ारों और जीते जी एक कांधे का सहारा नहीं मिला -
इतिहास गवाह है डूबती हुई कश्ती को कभी भी किनारा नहीं मिलाजिसका दिल ही रहा काला उसकी सोच में कभी उजियारा नहीं मिलाभटकते रहे दर–बदर ताउम्र कि कोई तो अपना समझ अपना ले हमेंइसी उम्मीद में हम तो होते रहे सबके पर कोई हमें हमारा नहीं मिलासुना है बाद मरने के मेरे दस्तान–ए–वफ़ा सुनाई जाती है सबको मेरीमैयत में भी आए हज़ारों और जीते जी एक कांधे का सहारा नहीं मिला
बोझिल सी इस जिंदगी को अब हम मिटा दें क्या किसी की याद मेंनज़रअंदाज़ कर सबके मशवरे कोडूबे रहें क्या उनकी ही पुरानी बात मेंसफ़र लंबा है अभी नज़रिया बदलने वाले कुछ भले लोग भी मिलेंगे इसमेंतुम ही कहो, कदम बढ़ाएं आगे या खोए रहें उसी आख़िरी मुलाकात में -
बोझिल सी इस जिंदगी को अब हम मिटा दें क्या किसी की याद मेंनज़रअंदाज़ कर सबके मशवरे कोडूबे रहें क्या उनकी ही पुरानी बात मेंसफ़र लंबा है अभी नज़रिया बदलने वाले कुछ भले लोग भी मिलेंगे इसमेंतुम ही कहो, कदम बढ़ाएं आगे या खोए रहें उसी आख़िरी मुलाकात में
अब मुझे सताती ही नहींसारा वक्त कट जाता है अब ख़ुद को तराशने मेंये रातें तन्हाई मुझे महसूसअब कभी कराती ही नहीं -
अब मुझे सताती ही नहींसारा वक्त कट जाता है अब ख़ुद को तराशने मेंये रातें तन्हाई मुझे महसूसअब कभी कराती ही नहीं