इनको अपना ही अंश जानो
हर श्वास के साथ
'तुम'
इनके भीतर प्रवेश करते हो
और ये तुम्हारे भीतर...
इनकी मृत्यु तुम्हारी मृत्यु है।-
इंसान परिंदो के घर उजाड़ कर...
अपना घर बना रहा है...
परिंदो को दुख देकर...
खुद खुशियों से उछल रहा है...
खुद उनके घर उजाड़ कर ..
अपना आशियाना बना रहा...
खुद सुख से रहने लगा है ...
लेकिन परिंदो को खुले...
आसमान में उड़ने को मजबूर कर रहा है ...😒
(( Plz don't cut tree's 🌲🌲🌿))-
आज हम रोते हैं तो
खुशी मनाते हो तुम महंगे मकानों में
जिस दिन हंसने पर आ गए हम तो
तुम भी ना रह पओगे इस जमाने में-
जीवन देकर तुम हमें अपनी अहमियत समझाते हो
बेवजह हम तुम्हारा गला घोट कर खुशियाँ मनाते हैं
विकास उन्नति के नाम पर हम खुद को भटकाते हैं
जीवन जीना छोड़ कर हम प्रदूषण को अपनाते हैं-
परिंदों ने शोर यूं बेवजह नहीं मचाया होगा,
जरूर जहर-ए-तरक्की लिए जंगल में किसी ने कदम बढ़ाया होगा।-
सृष्टि के निर्माता तुम्ही ,तुम्ही हो पालनहार
हरा भरा करके जग को किया जगत कल्याण
पर मनुष्य की भूल है जो द्वेष भाव से जीता है
खुद को खुश करने खातिर पेड़ों का जीवन लेता है....
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इन दिनों एक अजीब सी बेक़रारी है
फूलों से मिला करता हूँ अक्सर में, अब तुम्हारी बारी है।-
सांस देने वाला शजर, बूढ़ा हो गया बिन पानी,
सूखते ही बेश़र्म सब लकड़ियां काटने आ गएं !!
سانس دینے والا شجر, بوڑھا ہو گیا بن پانی کے..
سوکھتے ہی بے شرم سب لکڑیاں کاٹنے آگئے !!-