अपनी बातों को इस तरह छुपा लिया हमने,
तुमने कुछ भी कहा और मुस्कुरा दिया हमने!!-
आज मासूम सा चेहरा हर राज बता रहा है
और बोलता हुआ हर शख्स खामोश नज़र आ रहा है
क्या कशमकश है ज़िन्दगी में जिन्दा लोगों की
इंसान खफ़ा है इंसा से जमाना अकेला ही मौज उड़ा रहा है
महफ़िलो में हर शख्स खुद को तन्हा पा रहा है
सितारों के बीच चांद आज अकेला ही गुनगुना रहा है
अंधेरों का सैलाब ला करके दूसरों की जिंदगी में
न जाने वो शख्स दिन में दिए क्यों जला रहा है
जो हमेशा दूसरों के दुखों में शरीक़ हुआ करता था
वो आज अपना ही दर्द जमाने से क्यों छिपा रहा है-
तुम्हारी ज़िंदगी में मोहब्बत बेहिसाब लिख दूँ क्या
तू कहे तो तुझ पर एक किताब लिख दूँ क्या
हर वक्त मसरूफ़ क्यों रहते हो इन उलझनों में
तू कहे तो हर दिन को इतवार लिख दूँ क्या
मशवरा कर लिया करो ज़िन्दगी में ग़मों का मुझसे
तू कहे तो खुशियों के किस्से हजार लिख दूँ क्या
मौसम की तरह कभी दूर न हो जाना मुझसे
तू कहे तो पतझड़ में सावन की बहार लिख दूँ क्या
फर्क पड़ता है ज़िन्दगी के हर हिस्सेदारों से मुझे
तू कहे तो हर किरदार में तेरा नाम लिख दूँ क्या-
देश को आजाद कराने में वो
लहू की नदियाँ बहा गए
करके महफूज़ हमें चार दीवारों में
अपने प्राणों का दाव लगा गए
तीन रंगों की चादर ओढ़कर
इतिहास के पन्नों पर नाम अमर करा गए
शत शत नमन है उन वीरों को
जो देश की रक्षा को ही अपना मज़हब बना गए-
कभी बारिशों को अपना हाल बताया करो
कभी बूंदों के जैसे गुनगुनाया करो
कभी हवा के संग लहराया करो
कभी पेड़ों को हाल-ए-दिल सुनाया करो
कभी दरिया की गहराई को समझो
कभी बिन बात ही मुस्कुराया करो
कभी परिंदो के जैसे चहक उठो
कभी तितली बन फूलों पर मंडराया करो
कभी फिज़ाओ का दर्द भी देखो
कभी फूलों सा महक जाया करो-
मुझे हर दर्द का हिसाब दे दो ना,
खुद को बेवाफाई का खिताब दे दो ना!!
यूँ ही दूरियाँ कब तक रहेगी,
मेरे हर एक सवाल का जवाब दे दो ना!!
मेरी गलतियों को नज़रअंदाज़ कर,
मेरी आंखो की नमी का हिसाब दे दो ना!!
हजारों की इस भीड़ से निकलकर,
मेरी ज़िन्दगी को फिर से बहार दे दो ना!!
कदम लड़खड़ा रहे हैं अकेले राहों पर,
महज़ दो पल ज़िन्दगी का साथ दे दो ना!!-
ज़िन्दगी का किरदार निभाया नहीं जाता,
अब हाल-ए-ज़िन्दगी बताया नहीं जाता!!
सबब है ज़िन्दगी इसीलिए ही चल रही है,
अब हर बार रोकर मुस्कुराया नहीं जाता!!
दरमियाँ थी जिस रिश्ते में बहुत,
अब फासलों से हाथ मिलाया नहीं जाता!!
दरिया की गहराई में गया है ये मन ,
अब उल्फतों से वास्ता मिटाया नहीं जाता!!
सच की डोर बहुत नाजुक सी लगती है
अब झूठों से रिश्ता निभाया नहीं जाता!!-
नन्हीं सी परी शब्दों से कुछ यूँ जादू कर देती है
कुछ ही अल्फ़ाज़ में ज़िन्दगी के हर राज़ बयाँ कर देती है-
जो लिख गया वो ज़िन्दगी का किस्सा था,
जो दूसरों ने सुनाया वो झूठ का हिस्सा था!!
जो मिल न सका वो एक बुरा सा सपना था,
इस भीड़ भरी दुनिया में कोई तो अपना था!!
बचपन का हर लम्हा सुहाना सा लगता था,
दुनिया में कोई अपना दीवाना सा लगता था!!
शरीफ़ो की महफ़िल में हमारा ठिकाना था,
नक़ाबों के पीछे छुपा हर दुश्मन पुराना था!!
वक्त का कहर कुछ इस कदर छा रहा था,
आज इंसान इंसानियत भुलाता जा रहा था!!-
म़शहूर थे , ज़िन्दगी के हर किस्से में वो
पर
सर-ए-महफ़िल ने बदनाम कर दिया उन्हें-