समय रहते तुम कद्र करो
कोई ख़ास कहीं न छुट जाए
रोना है किस्मत का जो फिर
देखते ही अपना कोई खो जाए-
प्रेम की भाषा है उसकी प्रेम ही संपूर्ण है
देखती है प्रेम से वो अब प्रेम ही परिपूर्ण है
प्रेम की दुनिया नहीं है प्रेम देखो अब है कहा
वो खोजती है प्रेम सबमें उसमें ही देखो प्रेम है-
प्रेम बेहद है तुमसे सुनो कोई बात नहीं
मिले नहीं हम तो क्या अब ये भी याद नहीं-
वादे हो गए छोटे बातें देखो बड़ी बड़ी
छूट गए हैं रिश्ते जो मिलते थे घड़ी घड़ी-
अजी छोड़ो इश्क मोहब्बत सब बेकार है
देखो तुम खुद को अब कौन कितने पास है
लोग कहते तो हैं पर कोई समझता नहीं
अपना होकर भी अब अपना कोई रहता नहीं
कहते हैं सच्चे हैं खुद बदले हुए नजर आते
हम तो हैं बुरे बहुत तुम ही अच्छे दिखते जाते-
कितना कुछ कहना होता है अपने किसी खास से
देखो जब तुम समय ना मिलता इन्हें कभी पास से
पूछोगे क्या हाल तुम्हारे वो कह देंगे सब खुशहाल है
लेके बैठेंगे अपना रोना जब नहीं मिलता कोई साथ है-
ना मिले है मन मेरा तुमसे
ऐसी भी तो कोई बात नहीं
तुम सोचो जब भी मुझको
मैं आ जाऊं अभी पास नहीं
तुम करती हो थोड़ी सी बात
क्या इतना भी मन साथ नहीं
कहती हो दिल की बातें सबसे
क्या इतना भी कोई पास नहीं
गुस्सा है तुममें बहुत जो अंदर
कर दो खाली ये जज़्बात नहीं
कहना है यूं जो कुछ भी तुमसे
समझ ही जाओ कोई बात नहीं-
छोटी सी बात है दिल पर मत लेना
कहता हूं धीरे से जो तुम मत कह देना
दीवारों के कान हैं कुछ तो सुन लेंगे
दिल की गहराई से प्यार भरा कह देंगे
तुम जो मेरे हो अब कितना करीब हो
दिल से तो पता नहीं मन से ही नसीब हो-