हक नहीं हकदार नहीं ये जिंदगी बेकार नहीं
कहने वाले हैं यहाँ पर तन्हा जीवन सार नहीं
कोई पूँछ ले तो कह दो तुम हो खड़े बाजार में
बिक हैं जाते भाव भी अब इस बड़े संसार में
चाह ले कोई ख्वाब सा ये जिद नहीं बेकार है
चल पड़ो तुम रास्ते पर कोई नहीं जब साथ है
ये रोकते हैं टोकते हैं मुश्किलें कई पार खड़ी हैं
लड़ना सीखो खुद से तुम जिंदगी बेहाल पड़ी है
कहके देखो एक से भी तन्हा ही खुद को पाओगे
आजमा कर देख लो तुम किसके साथ आओगे
हो नहीं जो रास्ते पर खोज लो जिद का सवेरा
फिर मिले या ना मिले कोई ऐसा मौका हो दूजा
ये जिंदगी अनमोल है कुछ मोल इसका कर दो तुम
साथ हो तुम रिश्तों में अब तो कर्म ऐसा कर लो तुम
नाज हो माँ बाप को जब फक्र से कुछ कह सकें
रहते हो जिस घर में तुम खुशियाँ वहाँ सदा खिलें
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