दिल दहल गया है बस आस चाहिए
मेरे देश की बेटी; दिव्या की सांस चाहिए
मुझे कुछ और नहीं इंसाफ़ चाहिए
हवसी को फाँसी दो; भारत साफ चाहिए-
खून से लथपथ बेटी में लोग शर्म देखते है।
कुत्तों की बिरादरी का भी लोग धर्म देखते है।
#JusticeForDivya
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इंसान की इंसानियत से लेकर मासूम की मासूमियत,
दोनों को शर्मसार कर चुकी है इंसान की हैवानियत...
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बहना हम गरीब नहीं फिर भी इंसाफ मांगते हैं
हम हिन्दू हैं,शायद इसलिए आज भी न्यायालय को मानते हैं
कब तक सहेंगे हम कष्ट
कब तक झेलेगे बहने हमारी नर्क
अशांति प्रिय व भगवा आतंकवादी जो हमें नाम मिला है
क्यों नहीं अब तक हमने इस नाम को साकार किया है
क्यों नहीं अब तक हमने जेहादियों को खाक किया है
नर्क झेल चुकी बहनो को अगर इंसाफ दिलाना है
हिन्दू बहनों के भविष्य को अगर जो सुरक्षित बनाना है
जेहादि सुअरों को नजरों से गिराना ही होगा
इन सुअरों को 72 हूरों के पास पहुंचना ही होगा
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Just like sensible fans prefer football,
instead of Messi or Ronaldo, be a sensible citizen, don't quarrel over who's right or wrong,
prefer peace prefer peace!-
What's the reason
To beg justice for the child;
Who left us already ?
Can't we punish their weapon,
For doing such brutal act ?
They don't deserve oxygen even
After doing such merciless act,
'RAPE'.-
हे भारत! तेरी क्या दुर्दशा हो गयी
गूंजने लगा तेरा आंगन बालिकाओं की चीख से ।
हैवानियत की असीमितता तो देखो
मासूम भी अब सुरक्षित न रही ।।-
Yeh khuda
Samaj me kuch aisa
Badlaw aa jaye ke
ladki Ku hawas se nahi
Izaat ke nazaron se deka jaye
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তোমাদের দুর্গা আসবে আর ৯৭ দিন পরে,
আমার দুর্গা যে ফুলে কুঁড়ি ফোটার আগেই মরে...
তুই তো স্বর্গে যাচ্ছিস বলে দিস তারে,
শরৎ রাতের ফাঁকা প্যান্ডেলে তাকেও যদি কিছু করে.....-
मैं पहनूं बुरका,या साड़ी,
या फिर पहनूं सलवार...
हो उम्र 6महीने की,
या फिर हो 70पार...
हर बार तो दोषी मैं ही हूँ,
हर हाल में होती दरिंदगी का शिकार...
(Plz read caption for full poetry)
#justiceforsanskriti
#justicefordivya
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