नाराज़गी
(पार्ट -2)
(Read caption for story)-
When there is no one to listen me,my diary always did t... read more
जिन किताबों को पढा नहीं मैंने,
उन किताबों के लिये
मन में अपराधबोध मौजूद है अबतक
ऐसा लगता है जैसे धोखा
दिया हो मैंने उन्हें
लोग जाने कैसे
लोगों को
धोखा दे देते हैं !-
पितृसत्ता के जनक पुरुष हैं
मगर पितृसत्ता का
पालन-पोषण
स्त्रियों ने किया है...
स्त्रियों ने उसे जिया है,
माना है, अपनाया है, सींचा है
और फिर सौंप दिया है
अगली पीढ़ी को !
ओ लड़कियों,
वक़्त आ गया है
राख कर दो
विरासत में मिली
इस पितृसत्ता की जड़ों को
इससे पहले कि ये
तुम्हें ख़ाक कर दे !
-
मानसिक गुलामी को
धार्मिक रूप दे देने से
गुलामी का एहसास नहीं होता,
ये गुलामी आनंद की अनुभूति देने लगती है-
फिर इक ख़्वाब देख रही हैं आंखें...
फिर क़ीमत न चुकानी पड़े इनको !-
किसी ने फांसी के फंदे चूमे,
किसी ने सीने पर गोली खाई है...
आज़ादी की कीमत समझो,
आज़ादी यूं मुफ़्त में नहीं आई है !-
तुम इश्क़ के मामले में
मेरी आखिरी उम्मीद हो !
(Plz read caption for full poetry)-
अंधेरों की मुझको जब आदत हो गई है...
इक शख़्स मेरी दुनिया को रौशन कर रहा है !-