माँग कर लिया..
कर्ज है,भीख है,ऐहसान है।
बिन माँगे दिया..
फ़र्ज़ है,मदद है,दान है।-
बहुत हुआ
क्या करुँ
तुमारे मुस्कान भरी
चेहरे पे
उसको खायम
रखना मेरा
पेहला फ़र्ज था।-
फ़र्ज अपना निभाते रहो,
समय का पहिया घूमता है,
ग़म और ख़ुशी को चूमता है,
हां ख़ुशी अपनी जताते रहो,
बात दिल💟की बताते रहो,
गीत ख़ुशी के गाते रहो.....-
प्यार का कर्ज
प्यार का उधार ग़म बेशुमार है
ये कर्ज अब मुझे दे दो
आँख अश्को की कर्जदार है
ये दर्द सब मुझे दे दो॥
कब तक यूं तन्हा छुपाते रहोगे
तुम जख्मो के निशां।
प्यार का हक़ माँगता हूँ अपना
ये मर्ज अब मुझे दे दो॥-
धूल हमारे जवानों ने दुश्मन को चटाई थी,
ये वो ही दी जिस दिन दुश्मन को उनकी औकात दिखाई थी,
घुबैठियों खींच खींचकर मौत के घाट उतार था,
कारगिल युद्ध फिर वीरों ने जीत का झंडा गाड़ा था....-
हाथ बढ़ाकर मदद करने में बोलो क्या है हर्ज़
लोग शायद भूल गये हैं क्या है इंसान का फ़र्ज-
तुझसे टकराते ही
खुद के ज़ख्म दिखने लगे,
तेरे दूर जाते ही
मरहम भी मिलते गये,
ओ आत्मा! शुक्रिया तेरे साथ का,
और हाँ; मैंने कोई दगा न किया
हमने भी अपना फ़र्ज पूरा किया...-
मत पूछो कितने जख्मों के निशां,मेरे जिगर में दर्ज है...
जबकि मुझे मालूम था वो लड़की खुदगर्ज है...
वो समझती रही मुर्ख मुझे...
और मैं हर बार समझता रहा यह तो मेरा फ़र्ज है... !!-
ठोकरें खाकर भी न बदले तो यह मुसाफ़िर का नसीब हैं..
वरना पत्थरों ने अपना फ़र्ज निभाया था..।-