Satya Prakash Sharma   (सत्य प्रकाश शर्मा "सत्य")
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Joined 23 April 2017


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25 NOV 2022 AT 9:38


यूँ अधर मे छोड़ कर तुम,
यूँ चले जाओगे एक दिन,
मै खड़ा रह जाऊंगा तन्हा।
ये नही सोचा था उस दिन,
ये नही जाना था उस दिन ॥तुम अधर मे छोड़ कर यूँ


॥1॥

तेरी हंसी था गहरा समंदर,
और डूब कर जीवन बना था।
फ़िर दर्द की इन्तहां होगी,
ये नही सोचा था उस दिन ॥ तुम अधर मे छोड़ कर


॥2॥


साथ चलने का था वादा,
बन के छाया उम्र भर का,
तपिश मे छाले पड़ेंगे।
ये नही सोचा था उस दिन ॥तुम अधर मे छोड़ कर यूँ

॥3॥

प्रेम की तश्वीर लेकर,
राह मे जब तुम मिले थें,
उस चित्र मे विष भी छिपा था।
ये नही सोचा था उस दिन ॥ यूँ अधर मे छोड़कर. .. .

सत्य प्रकाश शर्मा "सत्य "

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23 NOV 2022 AT 7:48

🌧गीत 🌧

॥भाव :- प्रेम--- एक अनुभूति हर पल की॥

ढूंढता हूं मै तुम्हे , प्रिये
हर पुष्प मे हर पात मे, अब
पूछता हूँ नाम तेरा
झूलती हर शाख से , अब ,॥ ढूंढता हूं मै तुम्हे. ..

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16 NOV 2022 AT 8:32

जीवन दर्शन मेरी नज़र से. ..

विद्वत्वं च नृपत्वं च नैव तुल्यं कदाचन।
 स्वदेशे पूज्यते राजा विद्वान् सर्वत्र पूज्यते।।

समझो और अपनाओ — एक विद्वान और एक राजा की कभी कोई तुलना नही हो सकती है। राजा का मान सम्मान अपने राज्य तक सीमित रह जाता है परंतु विद्वान और गुणी साधारण व्यक्त्ति जहाँ भी जाता है वहीं अपने गुणों के कारण सम्मान पाता है।
अच्छे बने सच्चे बने
प्रणाम 🙏
सत्य प्रकाश शर्मा "सत्य "

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24 OCT 2021 AT 8:56

बादलों क़ी ओट मे रोज छत पर आता रहा दीदार को।
आज मेरे चाँद ने घूंघट उठाया तो वो चाँद भी शरमा गया॥

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31 JUL 2021 AT 9:34

प्रेम का संसार मेरा
बह गया सैलाब मे़ ..
(पूरा गीत caption मे़ पढ़े)

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27 JUL 2021 AT 14:05

🌹ग़जल🌹

दूर उनको तो हमसे जाना ही था
रूठना तो फ़कत इक बहाना ही था।

तेरे बिन हम जिएंगे कैसे सनम !
ये तो उनके लिए इक तराना ही था॥

कुछ दिनों से प्यार मे जो इजाफा हुआ
चराग़ ए मोहब्बत तो उनको बूझाना ही था॥

उम्र भर इश्क मे साथ देता है कौन।
प्यार का बोझ हमको उठाना ही था॥

क्या खबर थी "सत्य" हमसे .तिजारत हुई ।
के प्यार का कर्ज हमको चुकाना ही था ॥

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14 JUL 2021 AT 12:36

जीवन दर्शन मेरी नजर से ..
मनुष्य ;अमूमन ,वो नही होता जो वो स्वयं अपने बारे मे सोचता है या दिखाता है बल्कि वह वो होता है जो वह दूसरो से छुपता है।

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14 JUL 2021 AT 12:33

जीवन दर्शन मेरी नजर से ..
मात पिता गुरु चरण रज भाल चढ़े नित प्रात।
माथा दमके सूर सम कटे अमंगल सात ॥

बाल वृद्ध दोऊ एक सम सरल सहज प्रबोध ।
बालक से खुशिया मिले वृद्ध आशीष सुबोध॥
सत्य प्रकाश शर्मा "सत्य "

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7 JUL 2021 AT 12:10

ए शमां तुझसे ही तो रिश्ता "सत्य" है ।
तू रात भर, मै , उम्र भर टिमटिमाता रहा॥

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26 JUN 2021 AT 10:28

🌹ग़जल 🌹
तसव्वुर ए यार मे मेरी हर शाम गुजरी है ।
कतरा कतरा हर लम्हा हर रात गुजरी है ॥

एक और लम्हा हमे ख़ामोश रहने दो
अभी तश्वीर धुंधली सी जहन मे उभरी है ॥

है चाँद सा चेहरा सुरखाब के पर है
वो धीरे से आयी है अभी जन्नत से उतरी है॥

अभी तो ख्याल आया है हमे मसरूफ़ रहने दो
सुकून से रश्क होने दो अभी बरात गुजरी है ॥

मुद्दत से पहलू मे अक्स हमने भी यूं रखा
के ख्वाब की ताबीर मे एक उम्र गुजरी है॥

चाँद तू भी तो रहता है उम्मीद मे उसकी
सितारों की गवाही मे तेरी हर रात गुजरी है॥

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