दिल का चमन उजड़ते देखा,
प्यार का रंग उतरते देखा,
हमने हर जीने वाले को
धन दौलत पे मरते देखा,
दिल पे मरने वाले
मरेंगे भिखारी
सच है दुनिया वालों
कि हम हैं अनाड़ी
सब कुछ सीखा हमने
ना सीखी होशियारी-
होशियारी दूसरों को ठगने का नहीं,
हम विषयों से ठगा न जाये इसका नाम है।-
छोड़ दी हमने दुनियादारी
बिन मतलब की प्रीत तुम्हारी
करेंगे हम भी थोड़ी सी होशियारी
अब निभायेंगे सिर्फ खुद से यारी ।।-
किससे भागते फिरते हो तुम, अपने अंदर के भगवान का क्या?
दुनिया से लाख झूठ बोल लोगे तुम, पर अपने ईमान का क्या?
अगर कोई और कुछ नहीं भी देखता है तो क्या हुआ मेरे दोस्त।
तुम्हारी अंतरात्मा तुम्हारे ज़मीर और तुम्हारे गिरेबान का क्या?
बाहर की बहारों को नोच खाया तुमने बेखौफ़ होकर के मुर्शद।
कुछ सालों के बाद जो खिलेगी उस कमसिन बागबान का क्या?
वो कहते हैं कि एक मयान में दो तलवार नहीं रह सकते हैं।
पर एक आत्मा के दो हिस्से वाले जिस्म रूपी मयान का क्या?
मरोड़ कर नेस्ता नाबूत तो कर दिया तुमने उस पौधे को।
पर सोचो उससे जो मिल सकत था उस सागवान का क्या?
लोग अक्सर पूछते रहते हैं कि तन्हा क्यूँ रहता हूँ मैं आजकल।
उन्हें कोई बताए दोस्त अपने साथ रखते हैं उस कृपाण का क्या?
सारा जीवन सबकी मेजबानी करते हुए बीत गया मेरा यूँही।
उसके घर जाकर जिसकी बेइज्जती हुई उस मेहमान का क्या?
जब ख़ुद पर आती हैं तो कहते हो कि हमारे में दहेज नहीं देते।
जो तुम्हारे घर आएगी सब छोड़ उस कन्या के कन्यादान का क्या?
तुमसे कोई ऊँची आवाज़ में बात करें तो आग बबूला हो जाते हो।
उसको जो अपशब्द कहे है तुमने उसके आत्मसम्मान का क्या?-
⏭ सच ⏮
मासूमों को मासूमियत ने मार दिया
होशियारों को होशियारी ने मार दिया
जब मुश्किलें नजर आई राहों में
तो अपने सारे सपनों को मार दिया
प्यार में ठोकर खाई इस कदर की
नशे में डूबकर उसने खुद को मार दिया
और क्या क्या बताऊं साहब, कहने को बहुत कुछ है
दौलत की चाहत में, अपनों ने अपनों को मार दिया ।
लेखक - योगेश हिंदुस्तानी
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ऐ....... इश्क़फ़रामोश तेरी ये.. #नादानी है।।।
या...ये...तेरी.. #होशियारी।।।
क्यों ......नहीं समझती मेरे सिवा,,..............।।।।सभी तेरा जिस्म ही नहीं।।
.. #तेरी रूह भी नोच लेंगे।।-
#आधुनिक प्रेम👇
प्रेम पहले डेढ़ साणा होता है, उसके बाद अंधा बनता है।
हां नही तो🤔🤔🤔🤔🤔
क्योंकि सर्वप्रथम वो ढूंढता गोरी नारी को ही है।
😂😂🙈-
होशियारी सीखने के लिए तो ज़माने ने मजबूर किया
वरना मासूम थे हम भी कभी मासूमियत की हद तक...-