QUOTES ON #हॉस्टल

#हॉस्टल quotes

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17 JAN 2017 AT 13:00

बड़े दिनों के बाद
आया है याद
मुझे हॉस्टल का वो कमरा
जिसकी खिड़कियों से
आती थी रोशनी, हवा,
छिपकलियाँ, मच्छर
और कभी कभी चमगादड़ भी
मेरे कमरे में।

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3 NOV 2018 AT 17:55

थोड़ा हंसना थोड़ा हंसाना यूँ ही लड़ते झगड़ते रहना,
पर कभी तुम दोस्ती अपनी ये टूटने नहीं देना...

अपनी समझदारी जरूर बढ़ाना पर थोड़ी नासमझी भी बनाये रखना,
फिक्र करना सबकी तुम पर अपनी बेफिक्री भी बनाये रखना....

पागलपन छोड़ देना भले ही पर आवारगी बनाये रखना,
यूँ ही सबसे दिल से मिलना और दिल मिलते ही किसी से मिल जाना...

अपने मन की बातों से यूँ ही सबका मन बहलाना,
पर किसी खास को ही हमेशा के लिए मन में बसा जाना...

कभी याद करें हम तो हमारी जरूरत बन जाना,
और जरूरत हो हमारी तो हमें भी कभी याद करना...

बस यूँ ही ख्वाबों में हमारे आते रहना ,
जुदाई के एहसास से हमें बचाते रखना...❤❤

              -Ankita ki kalam💖🌹



   

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अखबार में काम मिलना वशिष्ठ के जीवन की सबसे बड़ी खुशी थी।कॉलेज के दिनों से ये सबसे बड़ी इच्छा थी।उन दिनों ये लगता था बस पढ़ाई खत्म पत्रकार बनना है।बदल देना है पूरी व्यवस्था को..
आज वो सपना सच हो गया तो खुशी का ठिकाना ही नहीं था।देर शाम को नियुक्ति पत्र मिलते ही यूँ लगा पूरे बनारस की ठंडई का सुरूर सर पर आ गया।बमुश्किल से रात बीती सुबह हुई।दस बजते ही ऑफिस में कदम रखे।सुबह की मीटिंग में पूरे दिन की कार्ययोजना बनती है।
आप की क्या रुचि है?सम्पादक जी ने पूछा..
जी मैं..
हां बोलिये,कौन सी बीट दी जाय आपको?
सर मैं क्राइम बीट पर काम करना चाहता हूँ..वशिष्ठ ने कहा।
कोई अनुभव है पहले अपराध की खबरों पर काम का।
जी नहीं सर..
ठीक है आप अरुण जी के सम्पर्क में रहकर सीखिए।असिस्ट कीजिये उन्हें फिर देखते हैं।
तब तक आप संजय जी के साथ विश्वविद्यालय देखीये।आपका कॉलेज है अच्छे से जानते भी होंगे सब कुछ।
जी सर जानते हैं।
तो ठीक आज से सुबह संजय जी के साथ शाम को अरुण जी के साथ खबरें लिखने में मदद कीजिये।
बेस्ट ऑफ लक..
मीटिंग खत्म हुई और वशिष्ठ निकल पड़ा संजय जी के साथ।संजय जी वरिष्ठ पत्रकार थे।शालीन मिलनसार और गुणग्राही।उनके साथ काम करना बेहद आसान था।संजय जी देवानन्द से प्रभावित थे।गले मे रुमाल,पूरे सफेद बाल,सांवला रंग,सलीके से पहने गए कपड़े उनकी पहचान अलग ही कराते थे।बेतहाशा बाइक भगाना उनकी विशेष आदत थी।
क्रमशः

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26 MAR 2021 AT 23:44

आज बहुत दिन बाद सकूं आया,
हॉस्टल छोड़कर मां के पास जो आया हूं।।

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7 DEC 2018 AT 13:12

हम हॉस्टल वाले बन्दे हैं
कपड़ों की गंदगी सूँघ कर पता करते हैं।

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30 DEC 2024 AT 18:08

आज साहूलियतों के तौर पर जीवन चल रहा है
हर आदमी नकाब ओड़े चलता चल रहा है

अजीब दौर चल रहा है आदमी भटक रहा है
न सुनता किसी की अपने मन की कर रहा है

हाथ में मोबाइल कान में एयरपॉड बहरा हो रहा है
यह कौन सी दुनिया में आदमी सफर कर रहा है

शादियां भी खुद ही खुद में सिमट सी गयी है
डेस्टिनेशन के नाम पर रिश्तो का हनन हो रहा है

इतिहास बनता जा रहा संयुक्त परिवारों का सिलसिला
एकल परिवार में दाम्पत्य जीवन मनमौजी हो रहा है

बुजुर्ग वृद्ध आश्रम में,बच्चे हॉस्टल में पल रहे हैं
यौवन पब, होटल और हुक्के के धुएं में ढल रहा है

जिधर देखो उधर खालीपन नजर आता अब'मीता
कलयुग का अर्जुन कृष्ण के वाचन पर हंस रहा है

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13 MAY 2017 AT 17:47

हॉस्टल में माँ की याद सताती हैं
कमरे के दीवार काँटने को दौड़ते हैं
ना जाने क्यों इतने प्यार से पाल पोस कर बड़ा किया माँ तूने
आज इतने बड़े हो गए लेकिन तेरे बिना जीना ना आया आज भी हमें

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15 JAN 2019 AT 18:10

मेरी बात में अब दादी कि कहानी नहीं होती
रजाई के लिए भाई से तानातानी नहीं होती
कपड़ों का बोझ कम हो चला है
अब अम्मी को खाना बनाने में परेशानी नहीं होती
बदल गया है अब घर मेरा
शायद वहां कोई परेशानी नहीं होती
ज़िन्दगी जो गुजर रही है अकेले
मुझे बिताने में आसानी नहीं होती

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6 JUN 2021 AT 14:00

क्या खाऊं टिफिन का ठंडा खाना
मां पास होती तो एक एक्स्ट्रा रोटी देती
बाहर वाली दुनियां

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