Sourav Kumar   (गुमनाम)
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Joined 13 April 2017


Joined 13 April 2017
3 MAR 2022 AT 16:12

माना हम ये कह नहीं सकते, कि वो हमारी है
पर सच तो ये है, कि अब भी कोशिश जारी है।

जब भी मिलता हूँ उनसे, या बातें थोड़ी हो जाती है
दिल से आती है आवाज, क्यों वो इतनी प्यारी है।

जब अपने बीते कल की बातें वो बताती है, लगता
मानों , ना उसकी, ना मेरी , ये कहानियाँ हमारी है।

ना मिलूँ तो बेचैनी, और मिलकर उनसे भुला देता हूँ दर्द सारे
ये मोहब्बत इलाज है हर मर्ज़ की, या मोहब्बत ही बीमारी है।

डर लगता है इन्कार से, पर करूँगा इज़हार मैं, फिर
अफ़सोस होगा नहीं की बिना लडे ही जंग हारी है।

क्या सोचेगी - क्या कहेगी, हाँ कहेगी या ना कहेगी
सोच सोचकर ये बातें सारी , मन मेरा भारी है।

फिर सोचता हूँ, ठुकरा भी दिया जाऊँ तो क्या
टूट चुका है दिल कई दफ़ा, अबकी उसकी बारी है।— % &

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24 JAN 2022 AT 19:39

मेरे इज़हार पे उनका इन्कार था
जिनसे हमे, बे - इन्तहा प्यार था।

रास्ता बदल, दूसरी ओर चल दिए वो
जिनका हमे बर्षों से इंतजार था।

अब रोजा़ रखते नहीं ना मंदिर जाते हैं हम
के वही चला गया, जो मेरा इफ़्तार था।

और सजा ली थी हमनें ख्वाबों की मकान
देख ना सका के उन दीवारों मे दरार था।

"रिश्ता मुमकिन नहीं, मग़र दोस्त रहेंगे हम"
दूर जाने से पहले यही आखिरी करार था।

'गुमनाम' ही रह गए हम उनकी कहानी में
जो मेरी कहानी के हर पन्ने का आधार था।

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23 JAN 2022 AT 10:55

मन मे चल रही हवाओं के रूख का कैसे पता करूँ
की कोशिश करी मैंने, हाथों मे धूल उठाकर ये जानने की
तो आधे कणों का इशारा कहीं और है, और आधे का कहीं और
फ़िर वही असमंजस मे हूँ कि किससे पूछूँ और किस ओर चलूँ।

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22 MAY 2020 AT 8:24

उसकी जिंदगी में मेरी ज़रूरत अब न रही
मुझको भी वस्ल की चाहत अब न रही।

जो करके देखा इश्क़ हमने इक दफ़ा
फिर इश्क़ करने की मुझे तलब न रही।

उसका तोहफ़ा सज़ा रख्खा है अलमारी में
सच तो ये है कि वो किसी मतलब न रही।

जिस मोहब्बत के लिए दुआ मांगती थी वो
उस मोहब्बत की अब उसे अदब न रही।

हिज्र सह लेंगे हम, हमारे यार काफी हैं
की हमारे बीच कभी मजहब न रही।

हज़ार वजह गिना गई है वो मुझको 'गुमनाम'
समझ आये मुझे ऐसी कोई सबब न रही।

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7 DEC 2018 AT 3:08

तुम दोस्ती करने से घबराती रही, कहीं प्यार न हो जाए

मैं प्यार करने से घबराता रहा, कहीं दोस्ती न टूट जाए।

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10 DEC 2017 AT 6:58

किस प्रेम की तुम बात करते हो
वो प्रेम, जो हर चार दिन में अपना पता बदल लेता है।

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10 DEC 2017 AT 6:56

तुम ही बोलो!
वो दो दिन का प्रेम
माता की ममतत्व से बड़ा हो गया।

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6 SEP 2017 AT 17:32

ये तो आधुनिक प्रेम का प्रभाव है
जहाँ भी होता वहाँ शांति का अभाव है।

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30 MAY 2017 AT 21:47

मेरी बहना
(दो बहनों की प्रेम कहानी)

In caption
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26 MAY 2017 AT 15:47

हरिजन को न्याय
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(Full Poem in caption)
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