वो क्या है न बोल देने के बाद
सामने वाले इंसान को
कितना बुरा लग सकता है,
कितनी चोट लग सकती है,
कितना दुःख हो सकता है
इन सभी बातों का अंदाज़ा लगाना
बहुत ही ज़्यादा मुश्किल हो जाता है।
इसलिए कहते है सोचिए फिर बोलिए।-
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हर लड़की ये चाहती है कि
मायके जा कर रह सके सुकून से शादी के बाद,
मगर हर लड़की इतनी भाग्यशाली नहीं होती
जो उसको दोनों घर से मिले पूरा सहकार।
दब जाती है जिम्मेदारियों के तले वो भी
अगर ब्याह के जाए संयुक्त परिवार में।
अक्सर, न छूटने वाले कुछ बंधन होते हैं
जो शायद बाँध कर रखते हैं उसको हर बार।
बैठा हो अगर कोई ससुराल में भरने पति के कान,
क्या वो रह सकती है मायके के निश्चिंत?
कैसे रहे वो मायके में खुशहाल
ये जान कर कि उसके पीठ के पीछे
भरे जा रहे है उसके पति के कान।-
वो क्या है न एक लड़की के जीवन में,
या तो माँ या फिर पति का समझदार होना बहुत ज़रूरी है।
दोनों अगर निकले नासमझ,
फिर लड़की पिसती रह जाती है ज़िंदगी भर।-
ನನ್ನದಲ್ಲದ ವಿಷಯಕ್ಕೆ ತಲೆ ಹಾಕದಿರು, ಓ ನನ್ನ ಮನವೇ
ನಿನಗೆ ಸಂಬಂಧವಿಲ್ಲದ ಜನರಿಗೆ ತಲೆ ಬಾಗದಿರು, ಓ ನನ್ನ ಮನವೇ.
ನಿನ್ನ ಬಗ್ಗೆ ಇದ್ದರೆ ಕಾಳಜಿ, ಪ್ರೀತಿ, ವಾತ್ಸಲ್ಯ ಅವರಿಗೆ
ಇಂದು ಎಂದೆಂದೂ ನಿನಗೆ ನೋವು ಮಾಡಲಾರರು.
ನಿನ್ನ ಬೆಲೆ ಅವರಿಗೆ ಇಲ್ಲದಿದ್ದರೆ, ಪ್ರೇಮದ ಬದಲಿಗೆ
ಕೊಡುವವರು ದುಃಖ, ನೋವು ಮಾತ್ರ ನಿನಗೆ.
ನಿನ್ನ ಕಾಳಜಿ ನಿನಗಿರಲಿ ಮರೆಯ ಬೇಡ ಎಂದಿಗೂ
ಇರಲಿ ನಿನ್ನ ಬುದ್ಧಿ ನಿನ್ನ ಕೈಯಲ್ಲಿ ಸದಾ, ಓ ನನ್ನ ಮನವೇ.-
How beautifully we expect
when we're supposed to accept.
How casually we move on
when we're supposed to stay.
Maybe it's human tendency
to take serious things lightly
and take light things seriously.-
ಜನಗಳಿಗೆ ವಿಚಿತ್ರವಾದ ಹವ್ಯಾಸ ಇರತ್ತೆ...
ಬೆಂಕಿ ಹಚ್ಚಿ ಮಜಾ ನೋಡೋ ಅಭ್ಯಾಸ...
ವಿಪರ್ಯಾಸ ಅಂದರೆ ಬೆಂಕಿ ಹಚ್ಚೋದು ಹೊರಗಿನವರಲ್ಲ.....-
क्योंकि हर कोई कहीं न कहीं
मतलबी ही है आखिर में
सिवाय मां-बाप के।
शायद दुनिया का दस्तूर यहीं है कि
चाहे जो हो जाए साथ अंत तक
मां-बाप ही देते है,
सहारा उनका ही मिलता है।-
चाहे उसको सोने का पिंजरा
बनवा कर सौग़ात में दे दो
मगर आख़िर है तो वो पिंजरा ही न?
कौन सा सोने का पिंजरा दे देने से
पिंजरे से प्रेम हो जाएगा उसको?
बंधी तो वो फिर भी रहेगी ही।
क्या फ़र्क पड़ता है कि वो
सोने की सलाखें है या लोहे की?
क्या अंतर होगा अगर वो
सोने की डाली पर झूलेगी
या लोहे की डाली पर?
अंततः पिंजरा तो पिंजरा ही है।-