हम तारीख से दीवार पर टंगे रह गए
और इश्क़ परवान चढ़ता गया,
हम ढूंढते रह गए दिन महीनों में उसको
वो सांसों में बसकर जान बनता गया ,
अहसास नादान थे हकीकत भूल बैठे
मान दे दी उसे वो नादान बनता गया,
तन्हाइयों के मारे रहे हैं हम कब से
जानकर भी वो अंजान बनता गया,
हम शीशा हो गए वो पत्थर ही रहा
वो चोट देकर भी हैरान बनता गया !
- दीप शिखा
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"ज़िन्दगी है अज़नबी सी.. अज़ीब सी ज़ुस्तजू है
बस झूठी ख़्वाइशों का इक आईना सा रूबरू है,
बेजान मज़बूरन जैसे कोई साया सा है चल रहा
है जिस्म किसी और का किसी और की रूह है,
ना तारे हैं यह मेरे.. ना चाँद पे मेरा कोई हक है
फिऱ सारा आसमां अपना सा.. यह लगता क्यूँ है,
उफ़्फ़.. ज़िन्दगी है यह अज़नबी सी अज़ीब सी ज़ुस्तजू है!-
माटी की है काया तेरी सोने चाँदी के सब सामान हैं,
घमंड है जिस देह का रब का तुझपे इक एहसान है।
जो वो चाहेगा न चाहकर भी करना पड़ेगा तुझे,
है मालूम तुझको फिर भी ना जाने क्यूँ तू हैरान है।।
-ए.के.शुक्ला(अपना है!)-
समन्दर भी हैरान था, हमें डूबते देखकर
की कैसा शख्स है किसी को पुकारा तक नही-
तुम तो इस बेजान को भी जान समझती हो,
इसको कुछ हो न जाए थोड़ा हैरान रहती हो।
खुद की जान को तब कितना चाहोगी तुम,
जब इसके लिए इतना परेशान रहती हो।।
-ए.के.शुक्ला(अपना है!)-
खुद हैरान हूँ मैं अपने सब्र का पैमाना देख कर
तूने याद भी ना किया
और मैंने इंतज़ार नहीं छोड़ा-
कहते तो है
चाहत है दिल से
फिर भी दिल तो
सारे परेशान है
हैरान है ज़िन्दगी से
दिल न लगाना किसी से
ख़्वाब देखे तो है
ज़िन्दगी के
फिर भी खवाब
आँखो पे हैरान है
हैरान है ज़िन्दगी से
दिल न लगाना किसी से
बोलते तो है
ज़िन्दगी केह कर
छोड़ जाते है
ज़िन्दगी की तरह
हैरान है ज़िन्दगी से
दिल न लगाना किसी से
सुन रहे हो जितना
दिल में हसरतो का
शूर है
छीन लेंगी
यह ज़िन्दगी का कसूर है
हैरान है ज़िन्दगी से
दिल न लगाना किसी से।-
दुनिया वालों का फरेब देख कर
मेरा मन हैरान हुआ
दिल परेशान हुआ
नजारा गमगीन हुआ
सच्चाई पर यकीन हुआ
फरेबी है दुनिया और
बदनाम ईमानदारी है
झूठों का बोलबाला है और
सच्चाई लगती बेचारी है
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हैरान ना हुआ करो
मेरे यूँ याद करने पर
🌹
रिश्ता जिनसे दिल का होता है
वो याद आ ही जाते है ...-