जिंदगी का सुकून हो तुम, साँसों की लय-ताल हो,
जीने की वजह तुमसे, वो ही तो तुम सुर-ताल हो!
अंतर्मन की पुकार हो, जो अंतस की आवाज हो,
आँखों की दिव्यज्योति, जो रौशन मेरा संसार हो!
कनेर की कशिश हैं जो, वो तन मन की बहक हो,
महसूस करता पल-पल, वो ही तो तुम महक हो!
दिल के आँगन बसती है जो, वो सपनोँ का घर हो,
खुशियां जिस के नाम है, वो मेरा तुम त्यौहार हो!
रग-रग में बसी हो मेरे, तुम वो सनसनाहट रक्त हो,
खामोशी के शब्दार्थ जो, वो अनकहा अव्यक्त हो!
हर शब्द में तेरा नाम जो, वही तो मेरी पहचान हो,
होगें जिसमें हमारे किस्से, वो मुकम्मल किताब हो!
जिंदगी की हर सुबह हो, चाहे वो कोई हर साँझ हो,
हिचकी आखरी जब भी हो, वो "राज" तेरे नाम हो! _राज सोनी-
8 MAY 2021 AT 9:01
30 NOV 2018 AT 15:40
तुमने कहा था
सच हो जाता है
सोचा हुआ तुम्हारा
मैं सोच रहा बरसों से
तुम्हें हिचकी भी नहीं आती-
11 JAN 2021 AT 15:42
शाम भी हो गई, रात भी हो गई !
एक तू ही है, जो अबतक आयी नहीं !
याद करता रहा, रात भर मैं तुम्हें !
एक हिचकी भी, है तुमको आयी नहीं !
होने वाला है क्या, हम नहीं जानते !
साथ हम तुम रहें, बस यही मांगते !
चैन भी खो गया, नींद भी खो गई !
एक यादें तेरी, अब तक खोई नहीं !-
4 DEC 2018 AT 11:21
इसीलिये शायद नही आती है अब और हिचकी मुझे,
कि तुम याद किया करते होगे जैसी मैं थी वैसे मुझे ।।-
6 FEB 2021 AT 6:49
हम तो सोच रहे कि..🤔
तुम्हें इतना याद करें कि..
तुम्हें हिचकी नहीं सीधा
दिल का दौरा पड़े..😂😂-
1 MAR 2021 AT 7:55
ये हिचकियां पैगाम मेरे महबूब का लाई है
आज फिर फासलों का गुरूर तोड़ आई है-
5 JUL 2018 AT 19:20
आजकल हिचकी बिल्कुल भी नहीं आती
शायद मेरी यादें भी तेरे पास जाने से कतराने लगी हैं
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