तुम्हारी स्मृति शेष रह जाएंगी
घर के दरवाजे के पीछे
लगे खूंटो पर टंगे कपड़ों
के रूप में..!
तुम्हारी की गई बातें
गुंजा करेगी चार
दिवारी से टकरा कर
एक छोर से
दूसरे छोर..!-
कह ले अपने मन की ऐसा अपना नहीं मिला होगा।
बिखर के रो लेने को कोई कन्धा नहीं मिला होगा।-
बिन्दी, सिंदूर, साड़ी पहने, वो बिल्कुल माँ सी दिखतीं थी।
पत्थर को भी पानी कर दे, कुछ ऐसी सुषमा दिखतीं थी।
थी हृदय में दबी तमन्ना जो अखण्ड भारत को लेकर के,
वो प्रतीक्षारत थी इस दिन के लिए ऐसा वो विदुषी लिखतीं थी।
सदैव हमारी स्मृतियों में आपकी कर्मठ, ओजमयी एवं मृदुभाषी छवि बरकरार रहेगी।
ईश्वर आपकी आत्मा को शांति दे🙏-
पापा की तस्वीर पर
चढ़ा दी गई माला...
पूर्ण की जा चुकी
सभी अंतिम विधियाँ...
की जा चुकी हैं
सभी शांति प्रार्थनाएं...
पापा की आत्मा
मिल चुकी परमात्मा में...
लेकिन अंतर्मन
अभी भी किसी कोने में
विलाप कर रहा है
स्वीकारना नहीं चाहता
यह सत्य!
यह कटु सत्य!
कि पापा इस दुनिया में नहीं रहे।-
स्मृतिशेष
रुकी गाड़ी
आधे रस्ते में
चढ़े लोग
कुछ भूले हुए
लोगों ने
उठा लिया
बिखरा हुआ समय
//अनुशीर्षक-
शाम के उस पहर में वो चिलचिलाती धूप,
जिसके रश्मिबन्धों में कहीं दबे पड़े थे सिंधु...
मानो मेरे नयनों से टकराकर कहीं
कुछ कहना चाह रहे थे वो...
शायद कहीं "चिदम्बरा" के विषय में...
(शेष अनुशीर्षक में)
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धैर्य,
प्रेम,
भक्ति,
करुणा,
कर्मठता,
का समावेश कर
जो व्यक्तित्व उभर कर आता है..
मेरे लिए वह आप है।-
रिक्तता
समय के साथ हर जख्म भर जाएगा, ऐसा सुनते
आए हैं, परन्तु वास्तविकता कितनी अलग होती है ।
जख्म नहीं भरते, हम अपने आप को भुलावे में रखते हैं।अपने आप से झूठ बोलते हैं ।खुद को इस भ्रम में रखते हैं कि सब ठीक है ।चेहरे की हँसी कितनी खोखली है ये हम औरों से छुपाते हैं ।मुश्किल तब आती है जब, आस-पास कुछ ऐसा होता है कि आपके जख्म फिर से हरे हो जाते हैं ।तब हमें महसूस होता है कि हम कितने बड़े भ्रम में जी रहे थे । तब हम और कमजोर पड़ जाते हैं ।किसी के जाने से जीवन में जो खालीपन आता है वो कभी नहीं भरता ।बस उसके भरने की उम्मीद में जिये जाते हैं ।ऐसा मेरा खुद का अनुभव है ।
Noopur Sharma
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नैनों में हमने नीर का बाँध बनाया था,
क्योंकि नैनो में हमने उनका ख़्वाब सजाया था,
वो बाँध तो झूठ की बुनियाद पर था खड़ा हुआ,
आज सब ढह गया,अवशेष स्मृतियों का शेष मात्र था!!-