मेरी आँखों मे देखना तुम
ढेरों सपनें टूटे हुए दिखाई देंगे,
मेरे लबों को छूना तुम
गहरी खाइए, औऱ
रिस्ता हुआ लावा होगा वहाँ,
मेरे माथे पर खिंची गई हैं
ठूठ तरुओं सी पर्वत सी रेखाएं,
सीने पर बोझ लदा हैं
इस पहाड़ सी जिंदगी का,
कमर में रगड़ मिलेगी,
अमृत औऱ विष पाने की रस्साकस्सी की,
मेरी हथेलियों पर मिलेगी
पत्थरो पर पड़ी रस्सियों की खंडहर निशानियां,
पैरो में मिलेंगे
वक्त की चाक पर काटा किनारा औऱ छाले,
बस..
मेरी पीठ पर लिखी मिलेगी तुम्हें
कविताएं तुम्हारे चुम्बनों की..!
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