क्योंकि अब तुमसे कोई वास्ता नहीं है ॥
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कितने निशान छूट गए,कब आधे रास्ते लौट गए,
एक उम्मीद आज भी है,कोई तो राह मिलोगे तुम!!-
आँखें किसे ढूंढ़ती हैं,
रातें भी सूनी सूनी हैं,
चाँद की गति धीमी है,
कुछ बातें भी ज़रूरी हैं,
न जानें किसका इंतज़ार है,
न कोई उम्मीद न आस है,
फ़िर दिल किसका तलबदार है,
ख़्वाबो में गुफ्तगू बेशुमार है!!!!
वो कौन है?????-
क़िस्मत की भी क्या लकीरें हैं,
जब लगता है खुशियाँ आने बाली हैं,
तभी खुली हथेली तो हाथ ख़ाली है,
मेहनत और क़िस्मत ने क्यों जंग ठानी है????
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हर क़दम
नया अध्याय लिखने को तैयार,
तेरे नाम की ख़ुशबू से
ये शहर महकने को तैयार,
लिख दूं क्या
तेरी ख़ूबियों की कड़ियों को,
तेरा जीवन
फूलों सा गुलदस्ता बनने को तैयार!!!-
तुमसे थी शिकायत,
तुमसे ही प्यार हुआ,
कुछ क़दम साथ चले,
फ़िर राह जुदा हुआ,
न तुम ग़लत न हम गलत,
बस वक्त का सितम हुआ॥-
जब स्वाभिमान आहत होने लगे,
तो सतर्क हो जाइए,
समझौते एक हद तक स्वीकार कीजिए,
सम्मान को दरकिनार मत कीजिए....
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ख़ुद से अंजान,कैसा ये इंसान,
सर झुका क्यों होता है निराश,
पीछे कामयाबी का रौशन है चिराग,
सर उठा अपने आप को पहचान...-
बादल हुआ सुर्ख गुलाबी रंगीला था,
नदी का रंग नशीला हरा नीला था,
गुलशन में ओस के गुलाबों पे मंडराते भंवरे प्यारे,
ये मौसम का नज़राना या प्यार का इशारा था॥
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ज़िंदगी कुछ थकी-थकी सी चलती है,
लेकिन कुछ यादें आज भी ताज़ी हैं,
जिससे वो कुछ लम्हें चुरा कर लाती है,
जो ठहरकर लबों पे मुस्कान लाती है!!
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