Rajiv Nayan   (Raj)
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Joined 4 May 2017


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54 MINUTES AGO

अहसास किसी का मुझमें महसूस होने लगा है
इक क़तरा परवान चढ़ते हुए क़ामूस होने लगा है
----राजीव नयन

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16 HOURS AGO

कोई भी
गुलाम होना
नहीं चाहता था!
दूर-दूर
भागा फ़िरता था
गुलामी के साए से!
बेतरह
कोशिश करता था
गुलामी की गिरफ़्त से
रिहाई की!
हर कोई
दीवाना होकर
चूम लेना चाहता था
आज़ादी की रूह को!
एक दिन
गुलामी ने रूप धरा
आज़ादी का
और अपना ली
उसकी वेशभूषा!
उसकी
मोहक अदाओं के
वशीभूत होकर
आदमी सुध-बुध खो बैठा
और जकड़ा गया
गुलामी की जंजीरों में!
अपने नियंत्रण में लेकर
हर लिया गुलामी ने
उसकी बुद्धि और विवेक को!
दूर कहीं...
एक कुटिल तानाशाह
अट्टहास कर उठा
अपने सिंहासन से!
----राजीव नयन



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1 MAY AT 17:56

हम कोशिश करते रहते हैं
खोयी चाहत को पाने की
मगर ख़्वाब रौंदे जाते हैं
दुश्वारियां कुछ ज़माने की!

जीवन के हर मोड़ पर
रोशनी की तलाश में
हम भटकते रहते हैं
धरती से आकाश में!

ज़िंदगी की कश्मकश में
छूट जाते कुछ हसीन पल
जी भर के इनको जी लें
हो या न हो, आज से कल!
----राजीव नयन

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30 APR AT 20:39

शीशा छन से बोल उठा और चकनाचूर हो गया
चोट नई जो दिल पर लगी ज़ख़्म नासूर हो गया
----राजीव नयन

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28 APR AT 22:19

वस्ल की हसीन रात जब कभी आएगी
आपकी सारी शिकायत दूर की जाएगी!

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28 APR AT 18:49

परेशानियां तो रहेंगी
हद से ज़्यादा बढ़ेंगी
हालात बदल जायेंगे
ख़ुशियां एलान करेंगी!

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28 APR AT 18:22

दिल का सौदा तो कर लेते हैं, बहुत हीं आसानी से
ज़ल्दी हीं फ़िर ऊब जाते हैं, हालात की परेशानी से
प्यार में साझे होते हैं, सुख के पल और दर्दोग़म भी
थक जाते हैं तन्हा मुसाफ़िर, रहगुज़र की वीरानी से!
----राजीव नयन

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28 APR AT 17:39

देखता हूँ तुम्हें कभी और कभी गुलाब को
लाज से हैं दोनों सुर्ख़ मगर ज़्यादा कौन है

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28 APR AT 10:35

आया था तिरी बस्ती में कारवां-ए-दर्द लिए
दूर तलक साया न था दरवाजे भी बंद मिले
----राजीव नयन

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27 APR AT 23:11

हम बातों से तुम्हें बहलायेंगे, जाने से पहले
क़दमों में तुम्हारे बिछ जायेंगे, जाने से पहले
एक बार जो पूछा होता, हाल हमारा क्या है
हर सवाल का ज़वाब सुनायेंगे, जाने से पहले!
----राजीव नयन

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