" सास बहु बनी सहेली "
आसाँ नहीं होता ,
सास से "सासू माँ" बन पाना,
घर में आई "बहुरूपी",
एक प्यारी सी ,
कोमल सी "कली" को,
सहेज के ,प्यार से ,
एक *मजबूत औरत* बनाना |
आसाँ नहीं होता ,
"सास" से"सहेली" बन पाना,
बहु के हिसाब से,
खुद को "मॉडर्न" बनाना,
खुद के हिसाब से,
उसे "ट्रेडीशन" सिखाना,
आसाँ नहीं होता "पास्ते",
"परांठे" को मिक्सकर,
* परास्ते *बनाना |
आसाँ नहीं होता ,
धीमे-धीमे अपने रिश्ते को ,
प्रगाढ़कर"सास बहू" से ,
"माँ बेटी" बन जाना,
आसाँ नहीं होता,
"अचार" और "मॉडन विचार",
को मिक्स कर , शिल्पी मेहरोत्रा
*खुशहाल परिवार* बनाना ||
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हम जितना परेशान होते है दूसरों को परेशान करने में
बस उसी समय का सही use कऱ लें
अपना जीवन आसान करने में
तो क्या जाएगा
हमारा ही भला हो जाएगा। ।-
अपनी हर खुशी को यहाँ, मैं तेरे ही नाम लिखता हूँ ।
यादों के किताबों में, बस तेरे अच्छे काम लिखता हूँ ।
ये सोचकर कि तू आज नही तो कल मान ही जाएगी ।
मैं तेरी माँ को अब से ही 'सासु माँ प्रणाम' लिखता हूँ ।-
लडकिया कभी भी किसी बात से हार नही मानती
पर उसे हराया जाता है
समाज क्या कहेगा ये बोलकर
बचपन से उसे डराया जाता है ।।-
पहले सिर्फ एक परिवार का
प्यार मिलता था,
अब दो-दो परिवारों का
प्यार मिलेगा,
पहले मुझे देख सिर्फ
एक परिवार के लोगो का
चेहरा खिलता था,
अब मुझे देख एक और
परिवार के लोगो का
चेहरा खिलेगा..।।
पहले मैं सिर्फ मेरे माँ-पापा की
जान कहलाती थी,
अब ससुराल वालों की भी
शान कहलाऊंगी..।।
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इतना जल्दी ना सजाओ जनाज़ा हमारा
कुछ साँसें बाकी है
तोड़ देंगे दम उसे एक नज़र देख
कर उसे देखने की एक आस अभी बाकी हैं-
✍️✨पति के पैगाम की सास के पास से चोरी का जिक्र✨✍️
(एक पत्नी के शब्दों में)
जब्त किये पैगाम की नज़्मों से
हमारी फरमाईशों ने हमें बताया
आपका हाल कि बंदा-ए-खुदा ✨
हमारे तो ब-दस्तूर मालूम हुए। ✍️
तसव्वुर जब हमें सहज मालूम
हुई तब बंद आँखों से उन्हें देखा तो
महफूज़ वो अपनी मंजिल की
तरफ बढ़ते महज़ दूर मालूम हुए। ✨
सलामती की अर्ज हे फरिश्ते!
मेरे अल्फाज़ ज़रा दे आना उन्हें
कि माँ और हम हैं मुन्तज़िर बड़े
दिनों से आहिस्ता ये बताना उन्हें। ✍️
यूँ तो यहाँ सब करते हैं आपकी
फिक्र बहुत और उनमें शामिल हैं हम भी।
और जो बच्चे हैं उन्होंने तो हद कर दी
जो याद आपको हर लम्हा हरदम की। ✨ (✍️शब्दार्थ CAPTION में देखें)-
कभी पापा की लाड़ली बन घर का नूर बढ़ाती हैं
मम्मी का पल्लू पकड़े हुए उसकी परछाई बन जाती हैं
अपने भाई के सभी राज़ों का वो भंडार हैं
प्यारी सी बहना की अनगिनत बातों का वो संसार हैं
वो अर्धांगनी बन पति का साथ निभाती हैं
और अपनी प्यारी नन्द की सहेली भी बन जाती हैं
सास - ससुर के आराम का वो राज़ हैं
और छोटे देवर की वो ही तो हमराज़ हैं
वो ममता की मूरत हैं
वो त्याग का आधार हैं
हँसते हँसते वो हर गम पी लेती हैं
हर माँ एक लड़की से ही तो जन्म लेती हैं-
मेरी जिस्म की सास हो तुम,
दिल में जलती आश हो तुम!
जरूरत नहीं पड़तीखुद से खुद की,
सोचो !रूह के इतने पास हो तुम!-