Mujhe manjur hai kisi ka sahara banna,,,
Par manjur nhi apni zindegi kisi ke sahare jeena..-
किस हद तक चलूँ इन यादों के सहारे
अब तो छोड़ दे मुझे मेरे सहारे
टूट ही जाएगी बोझ ढोते-ढोते
बेल कब तक टिकेगी लकड़ी के सहारे
पड़ रही है सीलन दिवारों में
घर अब नही चलते बुजुर्गों के सहारे
अलग हो गई इक नज़र की मोहब्बत
कोन हमेशा साथ रहता चेहरे के सहारे
कर दे मुझे आसमां का तारा,ऐ खुदा
मैं कबतक चाँद देखूँ जमीं के सहारे-
सच्चा मित्र,
पहचान.. ह्रदय का.. हर श्वास लेता है
वो गहरे अंतर्मन में छिपे अश्रुओं को भी तलाश लेता है!-
ज़िन्दगी को थामनें के लिये
हाथ ही कितने चाहिये...
बस चार लोग कमा के रखो
जो अर्थी को कंधा दे सकें,
ए ख़ुदा बस किसी के पास
इतनी भी मुफ़लिसी न हो..!-
मगर स्वयं को भी मजबूत रखो
अपनों का ख्याल रखो मगर अपना भी ख्याल रखो-
बन सको तो जरूरतमंदों का सहारा बनो
पैसे के सामने तो अक्सर झुकती है ये दुनिया
तुम हो सके तो किसी डूबते का किनारा बनो-
फिर आज फूट फूट कर रोना चाहता हूँ,
गले लगा ले 'माँ', गोद में सोना चाहता हूँ,
के बहुत देख लिए ये मेले सब घूम घूम कर,
बस तू लोरी सुना दे, सपनों में खोना चाहता हूँ।
'माँ' नहीं है हिम्मत कि अब जज़्बातों से खेलूँ,
तू रोटी कब बनाएगी, मैं आटे का खिलौना चाहता हूँ।
'माँ' जब कोने में रूठ बैठता, तू हर बार मनाती थी,
तू आए मनाने जहाँ, फिर वो कोना चाहता हूं।
'ग़ज़ब', बड़ा हो गया हूँ आज दुनिया की ख़ातिर,
ज़रा नज़रें मिलाना 'माँ', मैं छोटा होना चाहता हूँ....-
जरूरी है आँसुओ का ढुलक आना,
अखरता है जमाने को सलामत नजर आना,
जरूरी है जहां में सहारा होना,
हँसता है जमाना चार कंधो का न होना,
जरूरी है बात है तो बात होना,
बनाता है जमाना अफवाहों से बातों का होना,
जरूरी है लबों को मुस्कान से सिलना आना,
चुभता है जमाने को फूले रुख़सारो का नजर आना ।।-
डूब जाती मेरी कश्ती भी भँवर में बेशक,
यार तूफ़ां में तू दरिया का किनारा निकला!
मुद्दतों बाद निगाहें किसी पे जब ठहरीं तो,
अज़नबी शख़्स मेरी आँख का तारा निकला!
__Mr Kashish-