ग़ज़ब   (ग़ज़ब)
970 Followers · 127 Following

read more
Joined 7 February 2017


read more
Joined 7 February 2017
12 APR 2024 AT 13:41

ये तीखे उल्हाने, वो सब तंज़ो ताने।
ज़माने की बातें, ज़माना ही जाने॥

नहीं कोई हासिल, किसी की नज़र का,
नहीं और हिकमत में अब दिन गवाँने॥

ये मझधार की कशमकश का असर है,
जो पड़ते हैं सबको ही वादे निभाने॥

ख़ुदा हो गया 'गर जो तू, सोचना ये,
लगेगा न तू भी हुकूमत चलाने॥

हमेशा हुआ है औ' होता रहेगा,
ज़रा सा चुभेंगे ही चावल पुराने॥

हर इक फ़लसफ़े को, यूँ बहलाती है जू',
कि बच्चों की आंतों ने मांगे हैं खाने॥

अभी भी उसी ख़्वाब में खोया है तू,
अभी तक नहीं कोई आया जगाने॥

तू सच मान बैठा न उनकी कसम को,
तुझे सीखने में लगेंगे ज़माने॥

मैं डरता हूँ जन्नत की ख़ुश फ़हमियों से,
वगरना तो मरने को हैं सौ बहाने॥

'ग़ज़ब' जो भी लिखना, मिटा कर भी जाना,
हिदायत महज़ है, तू माने न माने॥

-


19 APR 2023 AT 14:14

"किस सुकूँ से चाँद है सोया नदी पे!",
सोचो मत इतना! कोई पत्थर उठाओ॥

-


19 APR 2023 AT 14:05

दिलों में आग उठती है, पलक आँसू भिगोते हैं,
'ग़ज़ब' उस रात का किस्सा, कभी जो मैं सुनाता हूँ॥

-


20 APR 2022 AT 2:13

धरती पर्वत, अंबर तारे, आतिश पानी तुम,
मैंने लिक्खी सारी दुनिया, लिक्खा यानी 'तुम'॥

इक मतले के हम दो मिसरे, जिसके मानी तुम,
मिसरा 'ऊला' मैं तुम्हारा, मेरे 'सानी' तुम॥

छूकर जाती हो तो कलियाँ भी शर्माती हैं,
तितली सी, फूलों से करती हो शैतानी तुम॥

तुमसे मिलकर मैंने बेहतर ख़ुदको जाना है,
है ख़ुदसे मिलके जो होती वो हैरानी तुम॥

हर पागल मजलिस में मेरे आगे फीका है,
इक ज़िद ठानी हर पागल ने, मैंने ठानी 'तुम'॥

शब्बे फुर्क़त से सहरे शिरक़त तक रोते हैं,
बिन मेरे कैसे जीती हो बोलो जानी तुम॥

पिछले जन्मों में चाहा जो, अबके पाया है,
आख़िर लो शोहदा हूँ मैं, और हो दीवानी तुम॥

-


17 MAY 2017 AT 11:59

अरे बेदर्दों! दो चार आंसू उसे भी रुला लो
मेरी मय्यत है आज, कोई उसे भी बुला लो

-


6 MAY 2017 AT 10:32

शायद नया 'माल' है, मैंने देखा अब आप देखिए,
दो चार ताने कसिये, जी भर के आँखें सेकिए,
और फ़िक्र कीजिएगा नहीं 'गर विरोध भी हुआ,
'तेज़ाब' खुल्ला मिलता है यहाँ , चाहे जब फेंकिए...

-


6 MAY 2017 AT 1:58

अमाँ....
क्या खाक पाकिस्तान, 'पाकिस्तान' है,
मैं होकर आया हूँ, सारे तो इन्सान हैं,

-


4 MAY 2017 AT 21:59

अब मिले हैं तो दो बातें होंगी,
छिड़ेंगे चार किस्से भी।
अब सिलसिले से लगेंगे जाम,
आओ बैठें बात करें ।।




-


30 APR 2017 AT 1:40

दो चार सीधे से ख़्वाब रखता हूँ,
न ग़ुमाँ न कोई नकाब रखता हूँ,

यूँ ही किसीको दिखाता नहीं मैं,
पलकों में जो सैलाब रखता हूँ।

दूंगा किसी रोज़ बस वक़्त आने दे,
तेरे हर सवाल का जवाब रखता हूँ।

नफ़रतों की दीवार रखता तो ढह जाता,
मैं तो मेहर-ओ-वफ़ा के बाब रखता हूँ।

सितम कर मगर सोच समझकर,
बुरे भले का हिसाब रखता हूँ।

दबा ले मगर मुझे रोकेगा कैसे,
'ग़ज़ब' हूँ कुछ नायाब रखता हूँ....

-


28 APR 2017 AT 19:50

मंदिर मिलेगा हिन्दू औ' मस्जिद मुसलमान
आ जाना मयख़ाने 'गर हो देखना इन्सान...

-


Fetching ग़ज़ब Quotes