सरस्वती वंदना
(अनुशीर्षक में पढ़ें)-
पद्मनिलया श्वेतवसना महाविद्या शारदे,
त्रिकालज्ञा सुधा मूर्ति शुभदा उपहार दे।
प्रीति-
नयी सरस्वती वंदना
ज्ञान का एक दीप जला दो, मन में मेरे शारदे...
अज्ञान का अंधकार मिटा दो ,मन से मेरे शारदे..
१. मैं पुकारूं दिल से तुझको,सुन लो मां मेरी पुकार,,
भक्ति की एक लौ जला दो, मन में मेरे शारदे......,,
२. आयी हूं मैं दर पे तेरे, मुझको मां ले लो शरण में,,
विद्या का वरदान दे दो, हे मां मेरी शारदे........,,
३. हे मां मेरी वीणा वादिनी, छेड़ो कोई मधुर झनकार,,
मन में मेरे संगीत भर दो, हे मां मेरी शारदे..........,,
ज्ञान का एक दीप जला दो, मन में मेरे शारदे...
अज्ञान का अंधकार मिटा दो, मन से मेरे शारदे..-
नमस्तुभ्यं वीणावादिनी, पुस्तकधारिणी,
मां तू धवलवर्णा, तू सर्वसौभाग्यप्रदायिनी।
पद्मासिनी तू देवी, सद्गुण वैभव शालिनी,
तू चंद्रवदनी, तू अज्ञान तिमिर नाशिनी।
देवो सदा वन्दिता, देवी तू शुभकारिणी,
मां त्वां अभयदायिनी, बुद्धि यशप्रदायिनी।
हितकारिणी, सुखकारिणी, तू जग निस्तारणी।
वन्दिताघ्रयुगे देवी, भगवती तू मंगलकारिणी।
वरदे मां विद्या ज्ञान प्रदायिनी, वन्दे तां परमेश्वरी,
जय मां कामरूपिणी, जय जय जय विद्यादायिनी।।-
सरस्वती नमस्तुभ्यं, वरदे कामरूपिणी, विद्यारम्भं करिष्यामि, सिद्धिर्भवतु मे सदा।
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥
शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्।
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥२॥-
नवल हर्ष विहान लेकर आओ माँ कमलासना|
तमस के दृढ़ बंध खोलो ज्योति की है कामना|
श्वेतवसना भाव के शत पुष्प हम अर्पित करें,
ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी पूर्ण कर आराधना|
बुद्धि में हो शुद्धता और सोच का विस्तार दे
लेखनी संबल बने नित भाव का भंडार दे|
वागीश्वरी पद्मासना सुरवंदिता शुभदायिनी
विद्वेष क्लेश निवार माँ जगवंदिता आधार दे|
प्रीति-
हे हंस वाहिनी ,वीणा वादिनी माँ शारदे,
शीश झुकाकर विनती करूँ मैं बारम्बार।
आशीष रखना मुझपर सदैव ,
बरसाकर अपना प्रेम अपार ।
मति मेरी न भ्रमित होने पाए,
सारे अवगुण हरलो माँ ।
अज्ञानता से हमें तारकर ,
विद्या का वरदान तुम देना माँ ।
रश्मि वत्स ।
-
// सरस्वती वंदना //
"वीणापाणि मां शारदे, स्वर में मेरे झंकार दे।
हे वर्णमातृका भगवती, मेरे शब्दों को श्रृंगार दे।।
लेखनी लिखे सत्य सदा, मन निर्झर सा हो निर्मल।
कमल आसनी मेरा जीवन,कर दे पुष्प जलज सा उज्जवल।
मेरे जीवन में सदैव, सद्गुण की अनुपम बहार दे।...
वीणापाणि मां शारदे, स्वर में मेरे झंकार दे।।
वर दे हंस वाहिनी मां, सही गलत में भेद कर सकूं।
इतना मां साहस भी देना, सत्य सदा अभिव्यक्त कर सकूं।
अवगुण खोटापन काट सके, मां लेखन में इतनी धार दे।...
वीणापाणि मां शारदे, स्वर में मेरे झंकार दे।।
जब मन में घोर निराशा हो, आशा की राह दिखा देना।
थक चूर यदि मैं सो जाऊं, देकर स्फूर्ति जगा देना।
सबके मन से द्वेष हटा, अनुपम सबको मात प्यार दे।...
वीणापाणि मां शारदे, स्वर में मेरे झंकार दे।।
मेरे जीवन का दीप बुझेपर शब्दों का दीप न बुझ पाए।
देशप्रेम-भक्ति- मानवता, समता की जो राह दिखाए।
योगी भव से तर जाए, भवतारण वह पतवार दे।..
वीणापाणि मां शारदे, स्वर में मेरे झंकार दे।
हे वर्णमातृका भगवती, मेरे शब्दों को श्रृंगार दे।।"
-© रघुवीर तिवारी "योगी"
-
माँ सरस्वती तेरी वंदना कर,पुष्प अंजली में भरूँ।
वीणा,की करूँ उपासना,विद्या की मुझको कामना।।
हे सौम्य रूप कमले मेरी,माँ तुझसे है मेरी प्राथना।
मन हो सभी का ज्ञानमय ,तन्मय रहूँ करूँ साधना।।
हे प्रकृति नव रंग संग आया वसंत जागे उमंग।
माँ उत्साह का संचार दे करती हूं मैं अराधना।।🙏
-
वसंत पंचमी
तू ज्ञान का निवास है अधर पे मंद हास है
सफेद हंस पास है पुकारता ये दास है।
विनाश तम,विकास कर,बिखेर रश्मि चमचमी
वसंत आ रहा बता रही वसंत पंचमी ।।
हे मात शारदे!जनम सुधार दे सँवार दे
प्रकाश ज्ञान का दिखा तमोदधि से तार दे।
वो शक्ति दे तू माँ,समाज को सुधार दें हमीं
वसंत आ रहा बता रही वसंत पंचमी।।
✍️उमाशंकर द्विवेदी-