पुरुषों को स्त्रियां तब तक भाती हैं,
जब तक कि वो उनकी दासी हैं।
रश्मि वत्स।-
मन जब शांत होता है तब,
कठिन से कठिन कार्य भी सिद्ध हो जाता है।
रश्मि वत्स।-
ज़माने भर से मिली थी झूठी हमदर्दियां l
बहुत कुछ था तेरे मेरे दरमियान।
बस तुझसे थी आस मुझे,
पर तुमने भी बना ली मुझसे दूरियां।
रश्मि वत्स।-
सीने से लगाए बैठे हैं तस्वीर उनकी,
और सरे बाज़ार दर्द की दवा हैं ढूंढते..।
रश्मि वत्स-
चलो कुछ वक्त अपने साथ भी बिताया जाए ।
इस भागती जिन्दगी में थोड़ा सुकून पाया जाए।
ताउम्र रखा है सभी का ख्याल ,
अब थोड़ा सा खुद के लिए भी जिया जाए ।
रश्मि वत्स।-
कसमें, वादे, प्यार,वफ़ा,
सब हैं बेफजूल की बातें।
संभल जाओ यारों,
वर्ना रो, रो के गुजारनी पड़ेंगी रातें।
रश्मि वत्स।-
किसी एक मोड़ पर।
स्वार्थ हित छोड़ कर।
कसकर गले लगा लेना,
बीती बातों को भूलकर।
रश्मि वत्स।
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बहुत हुनरबाज़ हो तुम ,
एक हुनर मुझे भी सिखा दो।
कैसे भुलाया जाता है किसी को,
ये बात भी बता दो ।
रश्मि वत्स।-
सिर्फ़ तुम्हारे कारण ही मुझे,
दर्द की सौगात है मिली ।
ताउम्र ना भुला पाऊं जिसे,
ऐसी बात है मिली....।
रश्मि वत्स।
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