Raghuveer Tiwari   (Yogi)
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TEACHER, COUNCILLOR, POET, ARTIST, SOCIAL WORKER
Joined 17 February 2019


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Joined 17 February 2019
10 MAR 2021 AT 23:58

// महाशिवरात्रि //
"जग को अमृत देने हेतु, कालकूट पी लेते हैं।
भोले भाले महादेव जो, दुख सब का हर लेते हैं।।

'योगी' दूल्हा बन जाते हैं, सकल विश्व के मंगल को।
महाकाल बन दुष्टों के वो, प्राण हरण कर लेते हैं।।

राह रोक कर काली का,महाप्रलय रुकवाते हैं।
कालों के भी महाकाल, महादेव कहलाते हैं ।।

'योगी' फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी शिवलिंग रूप में प्रकट हुए।
शिवरात्रि पर भक्त सभी,जागरण कर उन्हें मनाते हैं।।"
- © कवि रघुवीर तिवारी "योगी"
पवई, जिला- पन्ना (म.प्र.)

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3 MAR 2021 AT 8:34

" ख्वाबों के गुलिस्ता को, वीरान कर दिया है।
ज़ख्म और गमों को, मेरे नाम कर दिया है।
'योगी' रहें सलामत, हमें दर्द देने वाले।
अपनों ने हम पे इतना, एहसान कर दिया है।।"
- © रघुवीर तिवारी "योगी"

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27 FEB 2021 AT 7:49

//आजाद//
" जन्म भाबरा में लेकर , आजादी का पैगाम बना।
आजादी की अलख जगाने, क्रांति का आह्वान बना।।
दिव्य ध्येय के कारण 'योगी', आजादी का संग्राम बना।
मूछों पर देता ताव हमेशा, वीरों की वह शान बना।।
हाथों में पिस्तौल हमेशा, शत्रु के लिए कृपाण बना।
ब्रिटिश हुकूमत थर्राती थी, शत्रु का अवसान बना।।
आजाद जिया आजाद मरा, एक अमर पहचान बना।
सातार किनारे ब्रह्मचारी वह, 'योगी' पुरुष महान बना।।"
-© रघुवीर तिवारी "योगी"

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16 FEB 2021 AT 9:11

// सरस्वती वंदना //
"वीणापाणि मां शारदे, स्वर में मेरे झंकार दे।
हे वर्णमातृका भगवती, मेरे शब्दों को श्रृंगार दे।।

लेखनी लिखे सत्य सदा, मन निर्झर सा हो निर्मल।
कमल आसनी मेरा जीवन,कर दे पुष्प जलज सा उज्जवल।
मेरे जीवन में सदैव, सद्गुण की अनुपम बहार दे।...
वीणापाणि मां शारदे, स्वर में मेरे झंकार दे।।

वर दे हंस वाहिनी मां, सही गलत में भेद कर सकूं।
इतना मां साहस भी देना, सत्य सदा अभिव्यक्त कर सकूं।
अवगुण खोटापन काट सके, मां लेखन में इतनी धार दे।...
वीणापाणि मां शारदे, स्वर में मेरे झंकार दे।।

जब मन में घोर निराशा हो, आशा की राह दिखा देना।
थक चूर यदि मैं सो जाऊं, देकर स्फूर्ति जगा देना।
सबके मन से द्वेष हटा, अनुपम सबको मात प्यार दे।...
वीणापाणि मां शारदे, स्वर में मेरे झंकार दे।।

मेरे जीवन का दीप बुझेपर शब्दों का दीप न बुझ पाए।
देशप्रेम-भक्ति- मानवता, समता की जो राह दिखाए।
योगी भव से तर जाए, भवतारण वह पतवार दे।..
वीणापाणि मां शारदे, स्वर में मेरे झंकार दे।
हे वर्णमातृका भगवती, मेरे शब्दों को श्रृंगार दे।।"

-© रघुवीर तिवारी "योगी"

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14 FEB 2021 AT 8:25

"देश भक्ति यह क्या निभाते हो।
पुष्प रमणी को तुम चढ़ाते हो।।
'योगी' याद रहता है वैलेंटाइन डे।
पर क्यों शहीदों को भूल जाते हो।।"
-© रघुवीर तिवारी "योगी"

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11 FEB 2021 AT 15:52

"जन्म से मृत्यु तक की, यात्रा का नाम जीवन है।
वह जीवात्मा तब धारती, अपना मनुज तन है।।
मगर जीव आकर इस जगत में भूल जाता है ।
किराए के भवन को ही, अपना मान जाता है।।
बांधकर पाप की गठरी, खूब वह धन कमाता है।
साथ जाएगा न कुछ भी, जीव ये भूल जाता है।।
अज्ञान ही उसको, जीवन पथ पर भटकाता है।
मोह माया में पड़कर, जग की ठोकर खाता है।।
जरूरी यह है कि जीव, जीवन ध्येय को जाने।
जला ज्ञान की ज्योति स्वयं अपने को पहचाने ।।
स्वयं को जान पाया तो, मोह फिर छूट जाएगा ।
'योगी' जन्म मृत्यु का, बंधन फिर टूट जाएगा।।"
- © रघुवीर तिवारी "योगी"

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9 FEB 2021 AT 21:03

"हासिल कुछ नहीं होता,
किसी का दिल दुखाने से।
बड़ी तकलीफ होती है,
दिल की चोट खाने से ।
'योगी' प्यार पूजा है,
यही सच्ची इबादत है।
दाता खुश नहीं होता,
किसी को भी रुलाने से।।"
- © रघुवीर तिवारी "योगी"

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4 FEB 2021 AT 22:37

बिखरा आदमी....
" वह इतना बिखर गया है, कि फैला पड़ा है।
टूटा हुआ एक आदमी, इधर- उधर खड़ा है।।
कैसे पड़े हुए लथपथ क्षत-विक्षत अरमान हैं।
समेटना मुश्किल है, फैलाना बहुत आसान है।।
आज्ञाकारी अनुशासित, वो जूझ रहा सपनों से।
अपराधी सा मौन पड़ा, अभिशप्त है अपनों से।।
लाचारी का उपहास उड़ा रही, बिगड़ी हुई फिजा।
निरुत्तर हो भोग रहा है, गलतियों की वह सजा।
'योगी' कैसे पूरी करे वह, अब यह अधूरी बंदगी।
बिखरने में क्षण,समेटने में लगती है पूरी जिंदगी।।"
-© रघुवीर तिवारी "योगी"

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26 JAN 2021 AT 0:17

// शहीदों के नाम..//
"वतन की आन पर, जो जान भी कुर्बान करते हैं।
उन वीरों को झुककर , हम सभी प्रणाम करते हैं।
'योगी' स्वातंत्र्य दीप को जो कभी बुझने नहीं देते।
आओ आज का दिन उन शहीदों के नाम करते हैं।।"
-© रघुवीर तिवारी "योगी"
पवई जिला पन्ना (म.प्र.)

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23 JAN 2021 AT 7:47

©योगी

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