तुम राम भक्त हो हे गुरुवर,सुख दुःख तुमसे ही कहते हैं।
हे कृपा सिंधु रघुवीर प्रभु हम तेरी शरण में ही रहते हैं।।
हम दीन दुखी तुम दाता हो,जीवन देते हो विधाता हो।
हे श्रीपति,शक्ति पति,प्रजापति,तेरे अधीन हम रहते हैं।।
तुमसे ही यह वन उपवन,जल-थल के मालिक आप हीं हैं।
कृपा करो भगवान,हे शिवशक्ति तुमसे ही प्राथना करते हैं।।
-
रूह की धूप सेंकने वाले,याद रखना,
जिंदगी की कीमत चुकानी पड़ती है।
रोज सुबह इसलिए हीं होता है जागना,
भोर की मुस्कान से ही रौशनी आती है ।।
-
बीच मझधार में किनारा ढुंढ नहीं सकते,
नैया पार लग जाता है जब हाथों में पतवार हो।।-
तुमसे जीवन में कुछ भी नहीं चाहिए
सिर्फ प्रेम पोटली भरकर दे देना।।
तेरे बिना जिंदगी से नफ़रत हो जाए
ये मोहब्बत है कि हम मर नहीं पाएंगे।।-
भोर हुई आंखें खुली सूरज संग सपना जागे।
तितलियों के संग उड़ते रहें,चिड़ियों के संग गायेंगे।।
जन्मभूमि से प्रेम हमारा,कर्म भूमि संग जीना सीखेंगे।
सच होगी सपनों की दुनिया, मातृभूमि पर शीश झुकेंगे।।
मिलजुल रहना धर्म हमारा, अन्याय पर नहीं झुक पाएंगे।
हम भारत के रहने वाले,शान तिरंगा पर लहरायेंगे।।
-
मां शारदे वरदे मुझे,करती रहूं आराधना। संग ज्ञान का भंडार हो,करती रहूं मैं साधना।। मां विद्या दायिनी वीणा पाणि,करूं मैं तेरी उपासना, हे रूप सौभाग्य दायिनी स्वीकार लो मेरी प्रार्थना।।
मां दूर हो तम मन का मेरे ,वाणी को दो सुर साधना , और सौम्य रूप ममतामई,मैं करती हूं तुमसे याचना।
बागेश्वरी भुवनेश्वरी,जगती ब्रह्मचारिणी, हे मां पद्मालोचना।
हे भारती जय हो तेरी जय जय,सब देव करतें उपासाना।।-
कितनी प्यारी सी लगती है जीवन की बीती बातें।
तुमसे ही तो कहती थी प्रियतम अंतर्मन की जज्बातें।।
तुम दीपक मैं बाती बन कर ,खूब सजाया घरौंदे को।
रात दिन को प्रेम से सींचा, जीवन के हर एक क्षण को।।
मुंह फुलाए बैठे हो कहो क्यूं तुम मुझसे रूठे हो।
घर की दहलीजों में रखकर,अपनी ख्याति क्यों भूल गए।।
किसकी नज़र लगी इस घर को,मेरे नयनों से झरते हैं अश्रु। छलनी सा हो गया हृदय है, पथरीली सी हो गई है आंखें।।
तीखी बातें क्यूं करते हो,कौन सी भूल हुई जो मुझसे।
क्या याद नहीं आती है तुमको,मीठी-मीठी खयालाते।।
इस घर के रौनक हो तुम हीं,तेरी ही यहां सब थाती है।
तुझको ही है समर्पित यह जीवन,लेकर आईं हूं सौगातें।।
-
भरकर पोटली मुस्कान की जीवन में,
उछालो गगन की ओर झूम उठे पवन के संग
बादलों के रथ पर सवार, हो खुशियों की बरसात
खिलखिला उठे जीवन और बाहर आए मधुबन में।।
-
जगत की राह पर चलना है,कठिन है जग की रीति,
सुख की चाहत दुख में राहत, बना लिया है नीति,
राम भरोसे रहकर मानव यहां फैला रहा कुरीति,
मन को दौड़ा रहा है सरपट,चाल है इसकी फीकी।।
मन के हारे हार मन के जीते जीत,
मन दुश्मन बन जाता मन है अपना मीत,
जीस खांचे में डालो मन को, वैसा ही बना आकृति
हरि नाम का माला जप कर, कर लो इसे अलंकृत।।
रंग बिरंगी दुनिया में मन जमा लिया है डेरा,
उथल पुथल हो जाता है मन, माया का यहां सवेरा,
खींचतान कर इसे संवारा, तभी गया यह जीत
सज धज कर यह मन आया, करने हरी से प्रीत।।
-
आहे फागुन में ऋतु राज, रंग दिये बसंती चुनरिया
धन हुए नंदलाल देखें राधा रानी सांवरिया।।
सज धज निकली है सखियों की टोली हो
माथे पर बिंदिया नयन कजरारी हो ।
गाल गुलाबी है,होठ रंग लाली ।
पांव महावर,सजे चुनर रंगीली ।।
आहे कंचन बदन गुलाब, रंग दिये बसंती चुनरिया
धन हुए नंदलाल, देखें राधा रानी सांवरिया।।
फूल पलाश तलाशत सखियां, हो....
मनोहर रंग बनावत रसिया।
रस माधुर्य बरसत आज,
आये नंदन वन, मेरो मन बसिया।।
आहे निरखती रूप वृषभानु लली,आज आये सांवरिया
धन हुए नंदलाल रंग गये ,कुंजन में रंग रसिया।।
-