, सच्ची खामोशी मन का सुख, सच्चा सुख,, मन में बैर , मन का मैल,, मन का दुख, गहरा दुःख,, मन का मीत, सच्चा मीत, मन की जीत, सच्ची जीत, मन ही बनता, सच्चा शत्रु, मन ही होता, सच्चा मीत,,
सरल रहना, निडर रहना.. हो चाहें बात कोई,सत्य पर अडिग रहना,, लाख गिराये चाहें कोई, मन से उर्जित रहना,, ले चाहें परिक्षा कोई,परिणाम पर अटल रहना,, हो चाहें दुख कोई, बेवजह ही खुश रहना,,
ग़लतफहमियां किसी ने कहा, रोको, मत जाने दो.... किसी ने सुनकर दूसरे से कहा, रोको मत, जाने दो.... एक कोमा(,) ही बात का अर्थ बदल सकता है,... कहा किसी ने, राम ने भी खाना खाया,, किसी ने सुनकर दूसरे से कहा कि,, राम ने खाना भी खाया.... शब्द वही हैं किन्तु अर्थ बिल्कुल बदल गया.... रिश्ते निभाने हेतु कहे गये शब्दों से अधिक, उनके समझे गये अर्थों का महत्व अधिक है,, सुनी सुनाई बातों का क्या, जो बातों का अर्थ बदल दें, ग़लतफहमी पैदा कर दें, रिश्तों में दरार डाल दें, किसी की छवि अकारण ही बिगाड़ दें..... यदि विश्वास है तो क्या बात-बात पर परखना,, और यदि विश्वास नहीं तो,, बात-बात पर परखते रहने का कोई लाभ है क्या?....
ना कुछ पाना है,ना कुछ खोना है, पर, जीवन है, तो जीना तो होगा,, ना किसी से जीतना है,ना हारना है, पर, अस्तित्व तो पहचानना होगा,, सच है,अकेले आए हैं,अकेले ही जाना है, पर, जीवन के सफर में, अपनों को अपनाना होगा, सच है, मुट्ठी भर राख है, इंसा की औकात,, पर बुझने से पहले, रोशन दिया जलाना होगा,, है गर सवेरा,तो रात भी होगी ही,, होंगी गर बातें,तो बात कुछ होगी ही,, अंत और आगाज़ नहीं बस में,, पर,जीवन का सफर, खुशनुमा तो हो..., सपने चाहें टूटें, या पूरे हों,..... पर, मुट्ठी में सपनों भरी,आस तो हो...,