संवेदनाएं निधि भारतीय   (संवेदनाएं निधि भारतीय🙏)
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Joined 12 July 2022


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प्रत्येक व्यक्ति बस अपने ही साथ है.....
सचमुच,,

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Express your feelings,, with yourself,,
Relieve from stress,, yourself,,

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, सच्ची खामोशी
मन का सुख, सच्चा सुख,,
मन‌ में बैर , मन का मैल,,
मन का दुख, गहरा दुःख,,
मन का मीत, सच्चा मीत,
मन की जीत, सच्ची जीत,
मन ही बनता, सच्चा शत्रु,
मन ही होता, सच्चा मीत,,

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सरल रहना, निडर रहना..
हो चाहें बात कोई,सत्य पर अडिग रहना,,
लाख गिराये चाहें कोई, मन से उर्जित रहना,,
ले चाहें परिक्षा कोई,परिणाम पर अटल रहना,,
हो चाहें दुख कोई, बेवजह ही खुश रहना,,

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ग़लतफहमियां
किसी ने कहा, रोको, मत जाने दो....
किसी ने सुनकर दूसरे से कहा, रोको मत, जाने दो....
एक कोमा(,) ही बात का अर्थ बदल सकता है,...
कहा किसी ने, राम ने भी खाना खाया,,
किसी ने सुनकर दूसरे से कहा कि,, राम ने खाना भी खाया....
शब्द वही हैं किन्तु अर्थ बिल्कुल बदल गया....
रिश्ते निभाने हेतु कहे गये शब्दों से अधिक,
उनके समझे गये अर्थों का महत्व अधिक है,,
सुनी सुनाई बातों का क्या, जो बातों का अर्थ बदल दें,
ग़लतफहमी पैदा कर दें, रिश्तों में दरार डाल दें,
किसी की छवि अकारण ही बिगाड़ दें.....
यदि विश्वास है तो क्या बात-बात पर परखना,,
और यदि विश्वास नहीं तो,,
बात-बात पर परखते रहने का कोई लाभ है क्या?....

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कि‌ यूं ही जाया कर दो,,
वजह बहुत हैं, ग़मगीन होने की....,,
हमने,,बेवजह ही खुश रहना सीख लिया,,

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राम मंदिर बनने की, अभिलाषा पूरी हो गईं,
देखो नगरी, अयोध्या, दुल्हन सी सज गई,,

राम जन्मभूमि अयोध्या,,है रामनाम की गूंज,,
रामनाम से रोशन हर कण,, रामनाम है किरणपुंज,
राम भक्तों के मन की कलियां देखो खिल गईं,

शंखनाद हो, ढोल बाजें, गूंजे मंगल ध्वनि चहुंओर,,
राम लला के आगमन पर, दर्शन की है ललक चहुंओर,
टनटन की टंकारों से दिशाएं सारी गूंज गई,

दीप जलाओ, दीपोत्सव मनाओ, घर-घर में मिलकर सभी,
रंगोली सजाओ, खुशियां मनाओ,गाओ मिलकर गीत सभी,
वर्षों की तपस्या जैसे, आज पूरी हो गई,

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नये अंदाज से करते हैं,,
नवस्फूर्ति,नवउमंग हृदय में भरते हैं,,
रूठना, मनाना, दिल दुखना, दुखाना भूल,,
सबसे बातें करते हुए,प्रसन्नता का भाव रखते हैं,,

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ना‌ कुछ पाना‌ है,ना कुछ खोना है,
पर, जीवन है, तो जीना तो होगा,,
ना‌ किसी‌ से जीतना है,ना हारना है,
पर, अस्तित्व तो पहचानना होगा,,
सच है,अकेले आए हैं,अकेले ही जाना है,
पर, जीवन के सफर में,
अपनों को अपनाना होगा,
सच है, मुट्ठी भर राख है,
इंसा की औकात,,
पर बुझने से पहले,
रोशन दिया जलाना होगा,,
है गर सवेरा,तो रात भी होगी ही,,
होंगी गर बातें,तो बात कुछ होगी ही,,
अंत और आगाज़ नहीं बस में,,
पर,जीवन का सफर, खुशनुमा तो हो...,
सपने चाहें टूटें, या पूरे हों,.....
पर, मुट्ठी में सपनों भरी,आस तो हो...,

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ज्ञान का अहंकार ही सबसे बड़ा अज्ञान है।

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