अस्तंगत रवि को नमन, धर कर मन में ध्यान।
अक्षय-ऊर्जा-स्रोत का,यह अद्भुत सम्मान।
यह अद्भुत सम्मान,प्रकृति से अद्भुत नाता।
फूल-मूल-जल-पत्र-फलों से पूजा जाता।
शुद्ध जलाशय आज धरें स्वर्गंगा छवि को।
छठ पर पूजे देश उदित-अस्तंगत रवि को।।
💐💐बधाई छठ पूजा की।💐💐
✍️ Umashankar Dwivedi — % &-
वसंत पंचमी
तू ज्ञान का निवास है अधर पे मंद हास है
सफेद हंस पास है पुकारता ये दास है।
विनाश तम,विकास कर,बिखेर रश्मि चमचमी
वसंत आ रहा बता रही वसंत पंचमी ।।
हे मात शारदे!जनम सुधार दे सँवार दे
प्रकाश ज्ञान का दिखा तमोदधि से तार दे।
वो शक्ति दे तू माँ,समाज को सुधार दें हमीं
वसंत आ रहा बता रही वसंत पंचमी।।
✍️उमाशंकर द्विवेदी-
धरा पर मेघ जब बरसे उदधि में ज्वार जब आता,
कड़कती दामिनि से जब धरा का छोर हिल जाता।
कहीं भूकम्प जब आता सुनामी लहर आती है,
तभी परमात्मा मुझको तुम्हारी याद आती है।।
✍️उमाशंकर द्विवेदी-
सोचता जब बिना आधार के कैसे टिके तारे
खुले नभ में टिके कैसे चन्द्र, रवि,भू,नखत सारे।
सोचता जब कि शक्ति कौन सी इनको चलाती है
तभी परमात्मा मुझको तुम्हारी याद आती है।।
✍️उमाशंकर द्विवेदी-
नेताजी सुभाषचंद्र बोसजयंती
(पराक्रम दिवस)
पुरुषसिंह जो सबसे पहले माँ का बंधन खोला,
'मुझे ख़ून दो,मैं आज़ादी दूँगा' सबसे बोला।
जो सच्चे अर्थों में नेता कहलाने लायक था,
भारत-भाग्य-विधाता था,जन-गण-मन अधिनायक था।
'जो आज़ाद हिंद सेना' का अपराजेय सिपाही,
जिस सपूत को देख प्रथम भारत माता मुसकाई,
उस सुभाष के गुण गाओ,,
पराक्रम-दिवस मिल मनाओ,,
🙏💐🙏
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सभी रंग रस हैं दुनिया में जो चाहे वो लीजिए,
दिल छोटा मत कीजिए,,,
जग में सारे सुख बिखरे हैं
उनपर है अधिकार तुम्हारा,
धीरज रख पुरुषार्थ किये जा
होगा सब संसार तुम्हारा,
हर बाधा हो पार, हृदय में प्यार लिए ही जीजिए
दिल छोटा मत कीजिए,,,
जीवन है अनमोल तुम्हारा
सभी शक्तियों के तुम स्वामी,
दृढ़ संकल्प देखकर तेरा
सफल करेंगें अंतर्यामी
छोड़ सकल नैराश्य,नवल आशा अमृत ही पीजिए
दिल छोटा मत कीजिए,,,
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कमल पर ओस की बूँदें चमकतीं मोतियों जैसे,
दिशाएँ लाल होतीं जब लजीली कामिनी जैसे।
बैठकर आम पर कोयल मधुर जब गीत गाती है
तभी परमात्मा मुझको तुम्हारी याद आती है।।-
उषा सी सुंदरी जब नित निशा के बाद आती है।
तभी परमात्मा मुझको तुम्हारी याद आती है।।
जागकर देखता हूँ मंद गति से पवन का बहना,
धरा का सूर्य किरणों से नहाना,तम का न रहना,
कली जब फूल बनती है, खुशी से मुस्कराती है।
तभी परमात्मा मुझको तुम्हारी याद आती है।।
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हो मंगलमय वर्ष तुम्हें नव, हर्ष सदा दे मन में,
भरे नया उत्साह,नयी ऊर्जा तेरे जीवन में।
द्वेष करे ना कोई भी यह प्रेम भरे जन-जन में,
करुणा, धैर्य,शांति,सज्जनता भर दे सबके मन में।।
हरियाली हो खेतो में बागों में वन -उपवन में,
हो उमंग एक नए तरह का हर जन के तन मन में।
फूल खिलें,कोयल कूकें,अलिस्वर गूँजे उपवन में,
भारत में आनंद रहे नित जैसे नन्दनवन में।।
हों अन्वेषण नए-नए नित जन-सुख हेतु वतन में,
ज्ञान बढे,सब चलें एक-सा जल,थल,नील गगन में।
आशा करता हूँ यह सब सच होगा इसी जनम में,
कर्मशील ,संकल्पबद्ध हो यदि सब अपने मन में।।
रचना - उमाशंकर द्विवेदी
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