तू मेरी मोहब्बत है
मैं तुझमें हूँ
तू मुझमें है..
आज हम दोनों साथ नहीं फ़िर भी
दूरियों में भी मुकम्मल है हम..
तेरा मेरी धड़कनों में होना ही सबूत है मेरे होने का,
तेरी एक मुस्कुराहट से निखरती है शख़्सियत मेरी..!-
मेरी शख्सियत पहचानना गर इतना आसान होता,
तो आज तू ज़र्रा जमी का और मै आसमान होता।-
शीशे से पारदर्शी होते हैं कुछ लोग आईना साथ लिए रहते हैं
यूँ तो होतें हैं नाजुक मिज़ाज, पर टूटते हैं तो चुभते बहुत हैं....-
जो असंभव में भी संभव की तलाश करे वो शख्स हूँ मैं,,🤗
और जो आईने में भी देखकर ना समझ आए वो अक्स हूँ मैं..🙃-
"फ़ज़ाओं में बिखरी संगीत सी..ख़ानाबदोश हवा हूँ मैं...
ज़िन्दगी भरती उदासियों में..हर मर्ज़ की दवा हूँ मैं...."-
मेरी शख्सियत को बातों , मुलाकातों से न जांचना,
कड़वे मगर सच्चे लफ्ज़ सपाट मुंह पर जड़ देती हूं..-
धुंधली सी शख्सियत हैं मेरी
तेरे ख्वाबों की रोशनी ने आकर थामा
तो जिंदगी जैसे मुकम्मल हो गई।-
मेरी पहचान अपनी शख्सियत से है
किसी के होने या ना होने से नहीं है
ओर मेरी शख्सियत मेरी मेहनत
रूपी कलम से लिखी है मैने
अब किसी के मिटाने से
मिटने वालों में से भी नहीं है-
क्यों बनूँ किसी और के जैसा, मेरी शख्सियत मेरे लिए काफी है,
शहर के भीड़ में भी मुझे, अकेले चलने की अब आदत सी है !!-