-
मित्रों पिछले कुछ दिनों से आ रहे आर्थिक आंकड़े इस बात की पुष्टि कर रहे हैं कि देश की इकॉनमी अब धीर-धीरे पटरी पर आ रही है और सुस्ती के बादल छंट रहे हैं। मंगलवार को मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के आंकड़ों से खुशखबरी मिलने के बाद अब सेवा क्षेत्र के आंकड़ों ने भी कमाल कर दिया है। देश में सेवा क्षेत्र की गतिविधियों में वृद्धि जनवरी में सात साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई है।😉
-
उन्मादी अमेरिका,
कुपित ईरान
और
चकित दुनिया।।
😢विश्वशांति पर संकट😢
-
🌹 "स्त्री" 🌹
तुझमे है वह शक्ति,
जो विश्व की प्रबलतम बाधाओं का नाश है कर सकती,
तू प्रेम की धारा है,
तू ही संसार की उद्धारक है,
"जन्म" देने वाली भी तू,
और "जीवन" हरने वाली भी तू है,
अनजान है अभी तू अपनी शक्तियों से,
स्वयं को पहचान, यही विश्व के उद्धार का समय है,
तुझे अपने प्रेम की शक्ति से इस विश्व को बचाना है,
जननी है तू अपना कर्तव्य तुझे निभाना है,
चाहे आये हजार कठिनाइयाँ तेरी राहों में,
स्वयं की रक्षा और विश्व के कल्याण हेतु,
अब तुझे "शक्ति स्वरूपा" बन जाना है ।
-
ईश्वर, ख़ुदा , ईशा मसीह , वाहेगुरु और अन्य मत के अगुवाओं की करूण पुकार............🙏🙏
ईश्वर का फरमान उतरा है ज़मीं पे
ऐ इन्सानों क्यूं लड़ते हो पत्थरों से बनी इमारतों के लिए
अगर मुझ पे ऐतबार है तो अपने दिलों में झांको
मैं यानी ईश्वर तुम्हारे अन्दर मेरा घर है, हर कण में हूं मैं
तो क्या काशी क्या काबा, बहते लहूं के हर कतरे में हूं मैं
असंख्य कोटी वर्ष तुम्हारी गणना के बीत चुके हैं धरा को
और तुम सिर्फ दो हज़ार वर्ष में अटके , अनन्त से हूं मैं
बुद्धि विवेक और सीमित जीवन के अधिकारी हो तुम
उफ़्फ़ मेरी कृति इतनी मूर्ख कैसे हुए जा रही, चिंतित हूं मैं
चन्द शब्दों के हेरफेर से बांट रखा है मुझे तुम सब ने
मृत्यु उपरान्त मैं मिलुगा सबको , सबके लिए एक ही हूं मैं
वही प्रक्रिया गर्भ धारण की तुम्हारे बनाए हर मत में
फिर कैसा है ये बंटवारा , नौ माह से पैदा ही हुआ हूं मैं
मत भंग करो मेरी बनाई इस ब्रह्माण्ड की इस एकमात्र
जीवन दायिनी धरा को ,कष्ट होता है अति व्यथित हूं मैं
न तुम कुछ ले के आए थे और न तुम कभी कुछ ले जाओगे
फिर अब कौन और अक्ल दे , अब तो खाली हाथ हूं मैं
मत मेरे क्रोध को बढ़ाओं , सृष्टि का सृजन फिर से न करना पड़े
की बार कर चुका हूं प्रलय ,सम्भल जाओ इतना भी विवश नहीं हूं मैं ।-
अहिंसा परमो धर्म: कहने वाला इंसान,
जब अपने देशवासियों को विश्व युद्ध में पहुंचता है।
तो न जाने कैसे उसको,
विश्व शांति का पुरस्कार मिल जाता है।।-
श्रद्धेय बन्धुगण!..
कभी विचार किया है? चार अलग-अलग धर्मावलम्बी एक जगह बैठकर अनैतिक कार्यों का आनन्द ले सकते हैं, लेकिन वे चारों धर्मावलम्बी एक जगह बैठकर धर्म के बिषय में कभी आनन्द नहीं ले सकते हैं। जबकि हर धर्म का मूल आधार एक ही सत्य ईश्वर है।
अत: सभी धर्मावलम्बी जन यदि सत्य ईश्वर को जानकर एकमत हो जायें तो विश्व में घृणा व युद्ध का नामो-निशान ही मिट जायेगा और समस्त विश्व में शान्ति व आनन्द फैलेगा। इसलिए विश्व में शान्ति व आनन्द फैलाने के लिए हम सभी मिलकर विश्व शान्ति के लिए ईश्वर से प्रार्थना करें।-
दर भी हमनें बनाया और दरबार भी हमीं नें पर आज ना कोई मंदिर मजीद खुला हैं ना गुरुद्वारे और चर्च....सब के दरवाज़े बंद हैं बंदे!
आज हम आपत्ति में किसी भी धर्म स्थान पे ना माथा टेक सकतें हैं ना अपनी परेशानी बता सकतें हैं....बस हम खुद को जिंदा रखनें की कोशिशें करे!
ना तो कोई धर्मं रोक सका अबतक virus की महामारी को ना अपना विज्ञान आगें का पता लगा पाया....बस हम देखतें जांय इंसान को इंसान समझकर!
समझें ना हम अगर कुदरत का करिश्मा तो युंही खेल खेल में मिट जायेंगें वजूद....चलो बंद करे भगवान का बटवारा आपस की जाति-पांति भुलाकर!
जब बनाने वाले ने आंखों से न दिखने वालीं चीजें सबको एक समान दि....तो क्यूँ ना हम भी सब एक बनकर फिरसे नयी शुरुआत करें!
मेरे गुरु सरश्रीजी कहते हैं,अगर विश्व शांति के लिए सब लोग एक साथ प्रार्थना करे तो....विश्व की हर आपत्ति टल सकती है!
Happy thoughts🙏-
विश्व की व्यथा
खण्ड, उपखण्ड, देश, प्रदेश, भूभाग का
दुःख दर्द से आँसू भरा चेहरा देखा नहीं जाता।
अमेरिका, ईटली, स्पेन, ईरान, जर्मनी, फ्रांस, चीन
रूस, भारत, पाकिस्तान, जापान, आस्ट्रिया....
किन किन देशों का नाम लूँ.....
सारी दुनिया रो रही है ।
मासूम मानव मृत्यु से मेरा मन मर्माहत हुआ।
तिल तिल तड़प रहा है।
लोगो की असहाय अवस्था निरीह नजर
देश, धर्म, रंग जाति, की सारी हदें पार कर
उनके बहते आँसू पोछने,
अनकहे लफ्ज़ सुनने
उनकी पीठ थपथपाने
मेरा मन पल भर में पहुँच जाता है।
किसी को कंधा दे आता है।
किसी की दफ़न में थोड़ी सी मिट्टी डाल देता है।
किसी भी भाषा में हो रही अंतिम प्रार्थना
श्रद्धा भाव से करने लगता है।
उनके दर्दों को किन शब्दों में व्यक्त करूँ ?
सारे शब्द दुःख में डूब गये।
आँखें आर्द्र हो गई।
जबान ज़ब्त हो गई।
हाथ कंपन करने लगे।
कलम छूटने लगी....
अधूरी व्यथा मन में ही छोड़कर।
14/05/2020-
सुनो!
आज कोई लड़ाई झगड़े
की बात नही करेगा,
न देगा कोई युद्ध
और परमाणु बम की धमकी।
सारे आंतकी
राह में चलती बहनों से पूछेंगे,
उन्हें रास्ते मे डर तो नही लगता।
सारे गुंडे मवाली बदमाश
पूछेगें सभी की ख़ैरियतें।
आज कोई न बंदूके उठाएंगे
न बारूदें बोयेंगे।
सारी माताएँ चैन की नींदे लेंगी,
आखिरकार आज विश्व शांति दिवस है।-