प्राकृतिक चिकित्सा सर्वाधिक प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति है।
जीवन के प्रारम्भ एवं विकास के साथ ही प्राकृतिक चिकित्सा का उद्भव एवं विकास हुआ। इतिहासकारों के अनुसार ईसा से पाॅंच हजार वर्ष पूर्व लिखे ग्रे वैदिक वाङ्मय में प्रकृति के पंच महाभूतों की वैज्ञानिक चिकित्सकीय महता पर प्रकाश डाला गया। ऋग्वेद तथा अथर्ववेद में प्राकृतिक चिकित्सा से सम्बन्धित अनेक सूत्र तथा मंत्र हैं। विश्व के कोने -कोने में प्रचलित अनेक लोकोक्तियाॅं तथा कहावतें, जैसे- 'सौ दवा एक हवा', 'बिन पानी सब सून', 'जल ही जीवन है', 'धरती माॅं है', 'शरीर माटी का पुतला है', 'क्षीति जल पावक समीर', 'पंचतत्त्व से बना शरीर', 'मिट्टी पानी धूप हवा, सब रोगों की एक दवा ' आदि कहावतें प्राकृतिक चिकित्सा की प्राचीनता को दर्शाती हैं।
सत्रहवीं शताब्दी के अन्त में प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति जर्मनी से प्रारंभ होकर यूरोप होते हुए सारी दुनिया में छा गयी। जर्मनी के लुई कुने, एडल्फ जुस्ट, फादर नीप, विस्त्रेज प्रिस्निज, अमेरिका के केल्लाग, हेनरी लिण्डलहार, इंग्लैंड के हैर बेन्जामिन, स्टेनलीफ आदि चिकित्सकों ने प्राकृतिक चिकित्सा को जन -जन तक पहुॅंचाया।
भारत में प्राकृतिक चिकित्सा को बनाने में महात्मा गाॅंधी का विशेष योगदान है।
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