Maan Singh Suthar   (मानसिंह सुथार)
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Joined 29 October 2021


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19 HOURS AGO

हर किताब में
एक किताब की
गुंजाइश बाकी रहती है...!
वाल्मीकि के बाद भी
तुलसीदास को आना पड़ा ...!

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31 JUL AT 22:10

इन अनचाही तमन्नाओं को कैसे परवाज़ दू
बेख्याली में हर ख्याल अपने ही ख्याल में खोया है…!

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28 JUL AT 22:44

मैं मोक्ष प्राप्ति की ओर बढ़ रहा हूं...!
दिन प्रतिदिन खुद का इस भ्रम से हौंसला बढ़ा रहा हूँ...!
ज़िन्दगी कहती है मुस्कुराते रहो
मैं रोज चेहरे की मासपेशियों की कसरते बढ़ा रहा हूँ...!

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27 JUL AT 23:08

जिंदगी जिसके नाम कर दी
सजा उम्र भर की उसने नाम कर दी...!
नदी के दो किनारों जैसे हो गए
हर पुल टूट चुका सब्र की इंतेहा कर दी...!

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26 JUL AT 23:40

काश कहने भर से
कोई मुस्कुरा दे
तो गम़ किस बात का है...!

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25 JUL AT 23:03

हर आवाज़ दिलकश हो
दिल को भी मंजूर नही...!
मैं मैं मरती हैं तो
तूं ही की आवाज़ सुकून देती है...!

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23 JUL AT 23:21

अब तक हुआ हर तजुर्बा इतना सस्ता तो नहीं
हर ठोकर पर खुद को आईना होने से रोका है....!

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22 JUL AT 22:41

किस लिए जी रहे है सोचा है
जिंदगी की हर अदा जुर्म हैं...!
हर दर्द की दवा नही मिलती
जिंदा है तो जिंदगी जुर्म है...!

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21 JUL AT 22:45

वो बेवक्त ही सही गर थोड़ा सा मुस्कुरा दे
हम भी अपनी मुस्कुराहट उन पर लूटा दे...!
हमेशा उदासीन से दिखते इस चेहरे
पर बहारों के मंजर चहूं ओर खिला दे...!

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20 JUL AT 23:22

रिश्ता क्या है तेरा मेरा मैं हूँ
श्मशान की काष्ठ तूं है चंदन...!
जलता हूँ मैं निर्जीव के संग
तुम हो प्रभु के मस्तक का वंदन...!

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