हर किताब में
एक किताब की
गुंजाइश बाकी रहती है...!
वाल्मीकि के बाद भी
तुलसीदास को आना पड़ा ...!-
Sri Ganganagar ,Rajasthan
Founder of Maansarovar Sah... read more
इन अनचाही तमन्नाओं को कैसे परवाज़ दू
बेख्याली में हर ख्याल अपने ही ख्याल में खोया है…!-
मैं मोक्ष प्राप्ति की ओर बढ़ रहा हूं...!
दिन प्रतिदिन खुद का इस भ्रम से हौंसला बढ़ा रहा हूँ...!
ज़िन्दगी कहती है मुस्कुराते रहो
मैं रोज चेहरे की मासपेशियों की कसरते बढ़ा रहा हूँ...!-
जिंदगी जिसके नाम कर दी
सजा उम्र भर की उसने नाम कर दी...!
नदी के दो किनारों जैसे हो गए
हर पुल टूट चुका सब्र की इंतेहा कर दी...!-
हर आवाज़ दिलकश हो
दिल को भी मंजूर नही...!
मैं मैं मरती हैं तो
तूं ही की आवाज़ सुकून देती है...!-
अब तक हुआ हर तजुर्बा इतना सस्ता तो नहीं
हर ठोकर पर खुद को आईना होने से रोका है....!-
किस लिए जी रहे है सोचा है
जिंदगी की हर अदा जुर्म हैं...!
हर दर्द की दवा नही मिलती
जिंदा है तो जिंदगी जुर्म है...!-
वो बेवक्त ही सही गर थोड़ा सा मुस्कुरा दे
हम भी अपनी मुस्कुराहट उन पर लूटा दे...!
हमेशा उदासीन से दिखते इस चेहरे
पर बहारों के मंजर चहूं ओर खिला दे...!-
रिश्ता क्या है तेरा मेरा मैं हूँ
श्मशान की काष्ठ तूं है चंदन...!
जलता हूँ मैं निर्जीव के संग
तुम हो प्रभु के मस्तक का वंदन...!-