आइए आज लेख में प्रकाशित तीन प्रसंगों के मदद से विनम्रता और सहिष्णुता के सही मायने समझने का प्रयास करते हैं
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मान खंड खंड हुआ,मन विनम्रता, नमें वो धीर है।
मन में कोमलता- विनय, मार्दव गुण धरें वरवीर है।
प्रेम सुधा झरती है अद्भुत मार्दव गुण की महिमा,
मन मरुभूमि मृदु हुई, मां के आंचल में क्षीर है।
बड़ा ही मूल्यवान है हमारा ये जन्म,
करना नहीं जीवन में अशुभ करम।
उत्तम रखें विचार, अच्छा करें व्यवहार,
आदर्श मनुष्य की यही पहचान है।
अपनी आंख में अमृत रखें विमल-2,
अपनी वाणी हमेशा रखें सरल- सरल।
ये समंदर के वो मोती जिनसे इंसान की पहचान है।
मन में कभी भी ना रखें गरल- गरल,
विनम्रता व्यवहार में तो काम हो सरल।
विनम्रता महान व्यक्तित्व की पहचान है।-
विनम्रता बनी रहे
बाकी सफलता-असफलता
धन, दौलत, गरीबी व अमीरी
अपने, पराए, भीड़ और तन्हाई
यादें, वादें, लफ़्ज़, बातें, मुलाकातें
अपनापन, रूखापन, प्यार और नफरत
ये सब तो आते और जाते ही रहते हैं "अभि"।-
कुंदन बन निखरता प्रेम विरहा की भट्ठी में तपकर
नारी बनी शक्ति नर की, पीती गरल उर में हंसकर-
सोच की गिरफ्त में आज ये जज़्बात है।
खुदा ने बनाई, ये कैसी कायनात है।
अगर माँ है उन्हीं की सूरत-ए-शख्सियत,
फिर क्यों बुलाई खुदा ने उन्हें अपने पास है।-
Someone : yaar, tum itte logo ka Majaak Banate ho, tumhara koi nahi banata kya?🤔
Me : banate hain na, but 👇👇👇😜-
दंभपूर्वक तेज चलने वालों की अपेक्षा, शालीनता के साथ धीरे चलने वाले जीवन में कम ठोकरें खाते है।
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सादगी से बड़ा कोई श्रृंगार नहीं और विनम्रता से बड़ा कोई व्यवहार नहीं।।✍️✍️✍️
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विनम्र हूँ कि कहीं गांठ न पड़ जाए रिश्तों की डोरी में
मगर लोग, मेरे लहजे में नर्मी को कमजोरी समझने लगे हैं...-