भोर की उजली किरण लेकर आई शत शत खुशियाॅं
राजसाहब को जन्मदिन की है लख लख बधाइयाॅं ।
प्यार का बिगुल बजाया है,हर दिल में प्रेम जगाया है
प्रेम की प्राण प्रतिष्ठा कर दे दी पूज्य निशानियाॅं ।
आप प्रेम को लिखते हो,कभी प्रेम आप को लिखता
मंत्रमुग्ध रह जाते हम ,पढ़कर दिलकश रूबाईयाॅं ।
अनोखा है अंदाज आपका कहने सुनने की नहीं बात
बहा ले जातेअपने संग सागर में गिरती उठती लहरियाॅं।
हर ग़ज़ल रूहानी प्रेम की दिल से है दिल की दास्तान
रखती कविता मान प्रेम का, अति उत्तम है प्रस्तुतियाॅं ।
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