Sudha Goyal   (सुधा 'राज')
488 Followers · 347 Following

Joined 8 April 2021


Joined 8 April 2021
27 APR AT 13:36

"हम इश्क कर बैठे"
जाने क्यों हम ये इश्क कर बैठे ।
एक दरिया  रोज पार कर  बैठे ।

अश्क औ इश्क का‌ आशिकाना 
नयनों को सागर हम कर बैठे ।

बरसती रही शबनम यूं रात भर
ठहरा रहा हिय पल्लव कर बैठे।

चले जा रहे थे सफर पर अकेले 
यादों को उनकी हमसफ़र कर बैठे।

हुआ इश्क खुद से बेगाने हुए हम
उनसे बरसों की पहचान कर बैठे ।

हो गए न जाने किस कैफ़ में क़ैद 
होश तन मन का गुमा  कर बैठे।

ख्यालों में उनके बसने लगा दिल
आसमानों के पार हम घर कर बैठे।

अग्नि कुंड यूं बनी यज्ञ समिधा
दे आहुति खुद की हवन कर बैठे ।

दूर नहीं 'सुधा'अब अपनी रूह से
रूह को रुह से एकाकार कर बैठे ।
सुधा 'राज'

-


21 APR AT 13:32

"मौसम चुनाव का"

आओ हिन्दवासियों करें स्वागत आया है मौसम चुनाव का
चुनें देशहित में समर्थ और कर्मठ सरकार मौसम चुनाव का ।

जागो हिंद के वीरों हिंदुत्व की शक्ति को दे दो अपनी पहचान
मोदी जी के नेतृत्व में उज्जवल भविष्य बने मौसम चुनाव का।

एक वोट तुम्हारा कर सकता है आतंक भ्रष्टाचार का सफाया
अपने फर्ज व अधिकार का करो सदुपयोग मौसम चुनाव का ।

देखो बीड़ा उठाया है सनातन हिन्दू धर्म ने राष्ट्र के उत्थान का
बुलंदियों पर ले जायेंगे ध्वज हिंदुस्तान का मौसम चुनाव का ।

देश है तो हम हैं , देश है तो धर्म है , जिन्दा स्वाभिमान हमारा
हो देश की बागडोर सुरक्षित हाथों में आया मौसम चुनाव का ।

अबकी अवसर चुक न जाना , वोट अपना व्यर्थ न होने देना
अर्जी है 'सुधा' सभी देशवासियों से आया मौसम चुनाव का ।

सुधा 'राज'

-


8 APR AT 15:52

सीधी सादी , भोली भाली  एक है मेरी  बहना ।
उसकी प्रतिभा से खुश हो नाम दिया है नगीना ।

जन्मदिन की तुमको देते हैं लख लख बधाइयाॅं
ईश्वर खुशियों से भर दे  दामन तेरा भावभीना।

जितनी प्यारी सूरत, उतना ही प्यारा लिखती हैं 
कमेंटस इनके सबसे न्यारे मन भाये मीठे वचना।

स्नेह , प्यार की मूरत है और सीरत से मासूम है
पाके ऐसी बहन सखी हमें मिला अमोल खजाना।

-


1 APR AT 15:03

"लाख का चूड़ा"

सनम तू लेकर आना नगीनों वाला लाख का चूड़ा ।
सजा दो मोगरे की लड़ियों से मेरे गेशुओं का जूड़ा।

दिल भरमाना ना अपना सुनकर चूड़े की खन खन
झिलमिलाये गौरी कलाई में सुर्ख लाख का कंगन ।

उठा न‌ पाऊॅं अगर निगाहें कभी लज्जा के बंधन में
कनखियों से निहार लूंगी तेरी छवि कंगन के नग में।

तेरे प्रेम का प्रतीक ये कंगन होगा मेरा सौभाग्य सदा
झूम उठूंगी पहनके कंगन मैं मधुर रागिनी प्रियम्वदा ।

भरे होंगे हाथ कुहनी तक चूड़े की सुंदर अवली से
निखरे छटा नगीनों की जडाऊ कुंदन की लाली से ।

नैनों में कजरा , जुड़े में गजरा ,माथे बिंदिया लाल
गजब ढायेगा चूड़ा मेरा , मीनाकारी अजब कमाल।

अपने हाथों से पहना दे‌ प्यार से मेरी कलाई सजा
लाख का चूड़ा 'सुधा' निशानी अमर प्रेम की रजा।

सुधा 'राज'

-


24 MAR AT 11:23

होली

-


18 MAR AT 15:42

"मातृभूमि के प्रति"

अपने ही देश में क्यूं अजनबी होते जा रहे हम ।
अपनी पहचान, संस्कृति क्यूं खोते जा रहे हम ।

आधुनिकता की अंधी दौड़ में अमर्यादित हुए हैं
अंधेरे उजाले के बीच दिग्भ्रमित होते जा रहे हम ।

भोर होते ही गूंजती थी हवाओं में वैदिक ऋचाएं
आर्य वंशज  सभ्यता अपनी  भूलते जा रहे हम।

टूटकर अपनी जड़ों से कोई वृक्ष क्या पनपता है 
सोचो नई पीढ़ी को क्या सौगात देते जा रहे हम।

खाना पीना सोना पशुवत, जिंदगी के अर्थ नहीं है
मनोरंजन ऐश आराम को जीना मानते जा रहे हम।

जिन शहीदों ने देश पर जीवन अपना कुर्बान किया
उनकी शहादत को महत्वहीन क्यूं करते जा रहे हम ।

संभल जाए तो वक्त है अभी भी हमारे ही हाथों में 
परचम आन बान शान का जग में लहराते जायें हम।

मातृभूमि के प्रति कर्तव्य हमें भी निभाना होगा कुछ
देश की रास सही हाथों में हो प्रयास करते जायें हम।

पूरे विश्व में भारत है सनातन हिंदू संस्कृति का रक्षक
तिरंगे की मर्यादा सम्मानध्वजा 'सुधा' फहराते जायें हम।

सुधा 'राज'

-


5 MAR AT 14:04

सुधा

-


1 MAR AT 17:32

मिले

-


23 FEB AT 15:37


भोर की उजली किरण लेकर आई शत शत खुशियाॅं
राजसाहब  को जन्मदिन  की है लख लख बधाइयाॅं ।

प्यार का बिगुल बजाया है,हर दिल में प्रेम जगाया है
प्रेम  की  प्राण  प्रतिष्ठा कर दे दी पूज्य  निशानियाॅं ।

आप प्रेम को लिखते हो,कभी प्रेम आप को लिखता
मंत्रमुग्ध रह जाते हम ,पढ़कर दिलकश  रूबाईयाॅं ।

अनोखा है अंदाज आपका कहने सुनने की नहीं बात
बहा ले जातेअपने संग सागर में गिरती उठती लहरियाॅं।

हर ग़ज़ल रूहानी प्रेम की दिल से है दिल की दास्तान
रखती कविता मान प्रेम का, अति उत्तम है प्रस्तुतियाॅं ।

-


15 FEB AT 8:51

"प्रेम दिवस हमारा"

उस दिन की याद में जब पहली बार हम मिले थे
फूल पारिजात के ज्यूं , दिले हयात में खिले थे।

वसंत आगाज हुआ मेरे प्रिय ने भाल जब चूमा
बनके साक्षी हर ओर फिर गुल ही गुल खिले थे ।

मधुर स्मृतियों से सज़ा है दिन विशेष हमारा
तेरी बाॅंहों के घेरे में ख्वाब नशीले झिलमिले थे।

बरसों की प्रीत पुरानी जागी संजोग रूहानी
हसरतें बाकी ना रही , रहे ना शिकवे गिले थे।

बेकरार होके यूं जब तुम हमसे आके मिले
जैसे टूटे तारे को मुकम्मल आसमां मिले थे।

संग संग परिंदें नभ में चहलक़दमी करने लगे
मिलने मिलाने के फिर चल पड़े सिलसिले थे।

मित जो मन के मिले तो हुए संगम दिलों के
चली ना फिर एक भी , लाख आए ज़लज़ले थे।

चंदनिया छनने लगी बन दुआ नभ के झरोखों से
कुदरत की बरसी रहमतें सुखद संयोग के तले थे।

क़यामत का नजारा सुधा रूह में भासित हुआ
बेताब दिलों की धड़कनें लेने लगी यूं फैसले थे।

अमर हुआ प्रेम दिवस हमारा प्रेम ग्रंथ के पन्नों में
देने आशीर्वाद 'सुघाराज' को ईश्वर के दर खुले थे।

सुधा 'राज'

-


Fetching Sudha Goyal Quotes