"जन्मदिन मुबारक दीप्ति"
यह प्रेम का प्रतीक गुलाब , ढेर सारा प्यार लाया है।
उमंग और मुस्कान सहित खूबसूरत उपहार लाया है।
भोली भाली प्यारी सी दीप्ति का जन्म दिन आया है
जो दिल में वही जुबान पर, मासूमियत का साया है ।
ईश्वर खोल देना खजाने गुलाब की कलियों के सारे
जिधर देखे वो उधर ही हों खूबसूरत गुलों के नजारें ।
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खिल उठे हैं गुल की तरह, देखे थे जो सपनें हमने
सारा का सारा समंदर सहेज लिया नयनों में अपने-
अलसाये नयनों को खोले,मुग्ध हो रही वसुधा
सुधा जलबिंदु तृप्त धरा, अद्भुत नभ संपदा
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गुज़र रही थी जिंदगानी ,हवा को थामकर
बुझ न जाए दीप हाथों की ओट दें बचाते रहें
"सुधा गोयल"
अनुशीर्षक :---
"सतगुरु शरण"
माटी की नगरी बीच बसी है सोने की खदान रे
देख सके तो देख ले मनवा,है तेरा इम्तिहान रे ।
सुगंधित साबुन से धो पोंछके, इत्र फुलेल लगायें
मन को नहीं सजाया ,चमका लिया देह उद्यान रे ।
काम क्रोध की दहके अग्नि,अहंकार की बस्ती है
लोभ, मोह की दरों दीवारें, छाया भरम अज्ञान रे ।
अंधविश्वास, पाखंड छोड़, जाति भेद निरर्थक है
आत्मनिरिक्षण आत्मशुद्धि का उत्तम मार्ग जान रे।
प्रेम भक्ति से मिले परमात्मा निज विवेक ले परख
सत्य राह सतगुरु शरण, 'सुधा' पायो आतमज्ञान रे ।
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किसी गरीब के अश्कों की गाथा ये भूख है
कहीं पर बिकी आबरू की कथा ये भूख है
सुधा गोयल
अनुशीर्षक : ---
हर नयन में ऑंसू है, व्यथा हरदिल की है कहानी
वृक्ष को देखा खुद जले, औरों को दे छांव सुहानी
'सुधा गोयल'
अनुशीर्षक:--
इक ख़्वाब सजा था अँखियों में पहले से बेशक
तुम जो आए तो ख़्वाब की तामील हुई हो जैसे-
पारूल जी को अवतरण दिवस की ढेर सारी हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ 🎂🎂🎂🎂
योरकोट की बलिहारी मिली पारूल सी बहना प्यारी
आज दिन विशेष आपका खिल जाए फूलों की क्यारी-
कुंदन बन निखरता प्रेम विरहा की भट्ठी में तपकर
नारी बनी शक्ति नर की, पीती गरल उर में हंसकर-