जुल्फों पर लिखा,आँखों पर लिखा,
विभाजन का राह दिखाते,काजल पर लिखा।
कहतें हैं आसमां में चमकता चाँद हैं आप,
जानने वालों ने आपकी फ़ज़ीलत पर लिखा।।
जन्मदिन मुबारक हो जीजी🤗💝-
मुझे जात-पात का ज्यादा इल्म नहीं
हाँ, अगर संगीत में रूचि है तुम्हारी,
तो बेशक, हमारे मजहब एक है ..-
हमने बहुत कोशिश की उनके दिल में हक जताने की
पर अफसोस उनको न रूचि थी मुझको अपना बनाने की-
मौन नहीं रह सकती मैं
परिचय अपना खुद करवाती हूँ---
डिग्री से इंजीनियर,
पेशे से शिक्षिका हूँ मैं |
शौक मुझे है लिखने का,
और गाती हूँ कविताये मैं ||
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रूचि को राह दिखी फिर से चेहरे पर मुस्कुराहट आई देर तलक ना टिक पाई आँखें भर आई फिर से..!
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"मेरी रुचि"
तेरे प्रेम में मै इतना हूँ पागल...
न कोई शक है,न है कोई दाग प्रिये।
तेरा निस्वार्थ प्रेम ऐसा है की....
मैं सदा ही जपता रहता हूँ
बस तेरा ही राग प्रिये।
तूम मेरु रुचि मैं तेरा अनुराग प्रिये,
तेरे कोमल नाजुक दिल मे
मैं धड़कता हूँ दिन-रात प्रिये,
मैं करूँ गर जो किसी की बातें,
होती है बस तेरी ही बात प्रिये।
तूम मेरु रुचि मैं तेरा अनुराग प्रिये,
तेरे लिए हूँ मैं दिन का का प्रकाश तो,
तुम मेरे लिए चाँदनी रात प्रिये,
मै अगर हूँ तेरा बादल तो,
तुम मेरी हो बरसात प्रिये।
तूम मेरी रुचि मैं तेरा अनुराग प्रिये,
चाहे मैं कहीं भी जाऊं खिंचा चलाआऊं तेरी ओर प्रिये,
तेरे हाथो की मैं हूँ लकीर तो सुनो..
तुम मेरे सांसो की डोर प्रिये।
तूम मेरु रुचि मैं तेरा अनुराग प्रिये,
जीवन चाहे जितनी कठिन हो मैं रहूँगा सदा ही तेरे साथ प्रिये,
जीवन की यात्रा जैसी हो मेरी,अब हर पथ पर तुम रहना साथ प्रिये।
तूम मेरु रुचि मैं तेरा अनुराग प्रिये,
तेरे ख़ुशी के लिए मैं कर दूंगा,
अब सब कुछ का त्याग प्रिये।
मेरी सफलता कुछ न रहेगी,
जो तुम न रहोगी मेरे साथ प्रिये।
तूम मेरु रुचि मैं तेरा अनुराग प्रिये,
तेरा तन-मन मुझ पे अर्पण है मैं ही तेरा हूँ दर्पण प्रिये,
मेरे दिल की तुम धड़कन हो,
तुझ पे सबकुछ अर्पण प्रिये।
तुम मेरु रुचि मैं तेरा अनुराग प्रिये।
तुम मेरु रुचि मैं तेरा अनुराग प्रिये।।-
रुचि कब जागी
रूचि में
पता न चला
रूचि ख्वाब, है या यथार्थ
सवाल है या जवाब
पता न चला
कब वो ख्वाब से
यथार्थ में तब्दील हुयी
पता न चला
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दुनिया की आज
इस आपा-धापी में
किताब छपवाना कुछ मुश्किल नहीं
उधार से भी हो जा जाएगा !
मगर बिकने के लिए पालिस
भला ये फ़र्ज कौन इतना निभाएगा..!-