मनोज भारती   (मनोज भारती)
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Joined 29 March 2019


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Joined 29 March 2019
17 JAN 2021 AT 10:13

"जो जानता है कि मेरा मुझमें कुछ नहीं,वह तथागत है।
वह जानता है कि सब तत्त्व उस से होकर निकले हैं और
वे उस से बुझ चुके हैं।"

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18 JAN 2022 AT 22:58

शासन समस्या को देर से पहचानता है।

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7 MAY 2021 AT 11:55

रवीन्द्रनाथ टैगोर जयंती पर उनका सादर स्मरण।

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5 MAY 2021 AT 0:51

न किसी को लटकाइए
न किसी को भटकाइए
न किसी को उकसाइए
हो सके तो कुछ जीने की-
न कसर हवा मुहैया करा दीजिए।

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25 APR 2021 AT 21:51

महावीर जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं।

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21 APR 2021 AT 9:12

'व्यक्ति जब अपने छंद में जीने लगता है,तो संभव है दूसरे उसे पागल समझें। इसमें उनका कोई दोष नहीं,वस्तुतः वह लकीर का फ़कीर न रहा।'

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20 APR 2021 AT 8:36

'जीवन में सुख और दुःख आते हैं? हम उन्हें कैसे देखते हैं,यह महत्त्वपूर्ण है।'

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17 APR 2021 AT 8:40

'अनंत विस्तार में परिवर्तन एक शाश्वत परिघटना है,इसमें स्थायित्व एक पड़ाव के अतिरिक्त कुछ नहीं है।'

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16 APR 2021 AT 8:38

'मनुष्य अपनी आयु के वर्ष निर्धारित नहीं कर सकता,परंतु अपनी मनोवृत्ति को अवश्य निश्चित कर सकता है।'

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15 APR 2021 AT 8:17

'व्यक्ति में अनंत संभावनाएं हैं,क्योंकि वह अनंत ही है।'

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