"जो जानता है कि मेरा मुझमें कुछ नहीं,वह तथागत है।
वह जानता है कि सब तत्त्व उस से होकर निकले हैं और
वे उस से बुझ चुके हैं।"-
मनोज भारती
(मनोज भारती)
23 Followers · 28 Following
जीवन एक यात्रा है। इस छोर से उस छोर तक। इसका अनंत विस्तार रोमांचित करता है। कोई है जो इसमे... read more
Joined 29 March 2019
17 JAN 2021 AT 10:13
5 MAY 2021 AT 0:51
न किसी को लटकाइए
न किसी को भटकाइए
न किसी को उकसाइए
हो सके तो कुछ जीने की-
न कसर हवा मुहैया करा दीजिए।-
21 APR 2021 AT 9:12
'व्यक्ति जब अपने छंद में जीने लगता है,तो संभव है दूसरे उसे पागल समझें। इसमें उनका कोई दोष नहीं,वस्तुतः वह लकीर का फ़कीर न रहा।'
-
20 APR 2021 AT 8:36
'जीवन में सुख और दुःख आते हैं? हम उन्हें कैसे देखते हैं,यह महत्त्वपूर्ण है।'
-
17 APR 2021 AT 8:40
'अनंत विस्तार में परिवर्तन एक शाश्वत परिघटना है,इसमें स्थायित्व एक पड़ाव के अतिरिक्त कुछ नहीं है।'
-
16 APR 2021 AT 8:38
'मनुष्य अपनी आयु के वर्ष निर्धारित नहीं कर सकता,परंतु अपनी मनोवृत्ति को अवश्य निश्चित कर सकता है।'
-