इस कदर है आज दिल दर्द से भरा
कि होठों पर हंसी आंखें नम है जरा-
दर्द जब हद से गुजर जाए तो खामोशियां मुस्कुराती है
और दिल ऐसा जालिम है कि तब भी तदवीर चाहती है-
एक वक्त था जब बिना वजह बहुत ही बोलते थे हम
आज ये आलम है बस नजरों से शब्द तोलते है हम-
इन्तजार में लौ जलाए बीती सारी जवानी है
अब तो थक गई अंखियां भी हर रात की कहानी है-
ज़िन्दगी वो तोहफा है जिन्हें लोग समझ ही नहीं पाए
तमाम उम्र फिक्र में काटते क्या बोए क्या कर जाए-
मंजिलें खुद की पसंद की है,राह में कठिनाइयां तो आएंगी
हिम्मत है तो निकल पड़ो परवाह किए बगैर-
कि ठुकरा दो मेरी मोहब्बत तुम्हें हक है
हमने तो वफ़ा से की मोहब्बत हम कहां जाएं-
आधुनिक युग की पोशाकों से बदल तो लेते हो खुद को
जरा विचारों को बदलो तो बदलना समझ में आए
दिखा कर अपने जलवों को लोगों को नीचा दिखाना
कदर किसी की दिल की करो तो बात समझ में आए-
तुम्हें दिल से चाहते हैं ये खामोशी कभी इजहार न कर पाई
उस पल तुम बेहद करीब होते जब हो मैं और मेरी तन्हाई-
इंसान जब अकेले में शब्दों को टटोलता है
मन कही न कही खो ही जाता है
शब्दों में वो ताकत होती है
जो हसरत समझ जाता है-